Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Apr, 2024 02:24 PM
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टरों में मजबूती के दम पर अप्रैल में भारत की व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार जारी रहा। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। यह रिपोर्ट एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी (HSBC Holdings Plc) के एक...
बिजनेस डेस्कः मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टरों में मजबूती के दम पर अप्रैल में भारत की व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार जारी रहा। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। यह रिपोर्ट एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी (HSBC Holdings Plc) के एक फ्लैश सर्वे पर आधारित है।
सर्विस पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स मार्च के 61.2 से बढ़कर अप्रैल में 61.7 हो गया, जबकि मैन्युफैक्चरिंग पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स 59.1 पर अपरिवर्तित रहा। इससे ओवरऑल इंडेक्स 62.2 पर पहुंच गया, जो जून 2010 के बाद सबसे ज्यादा है।
इंडेक्स प्रारंभिक सर्वेक्षण परिणामों (preliminary survey results) पर आधारित हैं और फाइनल PMI डेटा अगले सप्ताह प्रकाशित किया जाएगा। 50 से ऊपर की रीडिंग पिछले महीने की तुलना में विस्तार का संकेत देती है, जबकि इससे नीचे की रीडिंग गतिविधि में संकुचन का संकेत देती है।
HSBC की भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने एक बयान में कहा, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नए ऑर्डर बढ़ने से अप्रैल में सेवाओं की वृद्धि में तेजी आई। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग मार्जिन में भी सुधार देखा गया क्योंकि कंपनियां मजबूत मांग की स्थिति के कारण ग्राहकों पर ऊंची कीमतों का भार शिफ्ट करने में सक्षम थीं। भंडारी ने कहा, “मजबूत मांग के कारण अप्रैल में कुल मिलाकर भविष्य के कारोबारी आउटलुर में और सुधार हुआ।”
भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी से ज्यादा बढ़ने के लिए तैयार है, जिससे यह दुनिया में सबसे तेजी से विस्तार करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन जाएगी। मजबूत वृद्धि ने केंद्रीय बैंक (RBI) को मूल्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने का मौका भी दिया है। RBI इस महीने की शुरुआत में अपने सख्त नीतिगत रुख पर कायम रहा और लगातार सातवीं बैठक में बेंचमार्क दर (Repo Rate) को अपरिवर्तित रखा।
HSBC ने कहा कि बढ़ती मांग ने वित्तीय वर्ष की शुरुआत में और ज्यादा रोजगार सृजन का समर्थन किया। जहां सेवा प्रदाताओं ने मार्च की तुलना में मामूली गति से अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखा है, वहीं माल उत्पादकों ने लगभग डेढ़ साल में वर्कफोर्स को सबसे बड़ी सीमा तक बढ़ाया है।