चाय की खेती के लिए अनिवार्य मंजूरी को निलंबित करने के फैसले से उद्योग पर असर नहीं: चाय बोर्ड

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Sep, 2021 06:25 PM

industry not affected by decision to suspend mandatory clearance

चाय बोर्ड के अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने कहा है कि भारत में चाय की खेती शुरू करने की मंजूरी की जरूरत को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले का इस उद्योग पर कोई बड़ा असर होने की संभावना नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा, इस आदेश का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश और...

नई दिल्लीः चाय बोर्ड के अध्यक्ष पी के बेजबरुआ ने कहा है कि भारत में चाय की खेती शुरू करने की मंजूरी की जरूरत को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले का इस उद्योग पर कोई बड़ा असर होने की संभावना नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा, इस आदेश का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में चाय की खेती को प्रोत्साहित करना हो सकता है। सरकार संभवत: इन राज्यों को विशेष चाय उत्पादन के केंद्र के रूप में विकसित करना चाहती है। 

बेजबरूआ ने कहा, "यह एक बेमानी कानून था। वैसे भी लोग शायद ही इसका पालन कर रहे थे, इसलिए इस बात की संभावना नहीं है कि कानून के निलंबन का ज्यादा असर होगा।" गत आठ सितंबर को चाय बोर्ड के एक सर्कुलर में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने चाय अधिनियम, 1953 की धारा 12 से 16, धारा 39 और धारा 40 के कार्यान्वयन को 23 अगस्त से अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है। 

अनिवार्य मंजूरी के प्रावधान को हटाने के अलावा, मंजूरी हासिल ना करने से संबंधित दंड के प्रावधानों को भी निलंबित कर दिया गया है। सर्कुलर में कहा गया है, "अब से भारत में कहीं भी चाय की खेती के लिए बोर्ड की मंजूरी की जरूरत नहीं है।" 

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