Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Dec, 2019 11:46 AM
देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस कर धोखाधड़ी और विदेशी कर्मचारियों के गलत वर्गीकरण के आरोपों को निपटाने के लिए 8,00,000 डॉलर (करीब 5.6 करोड़ रुपए) का भुगतान करने के लिए तैयार हो गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
वाशिंगटनः देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस कर धोखाधड़ी और विदेशी कर्मचारियों के गलत वर्गीकरण के आरोपों को निपटाने के लिए 8,00,000 डॉलर (करीब 5.6 करोड़ रुपए) का भुगतान करने के लिए तैयार हो गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
एच-1 बी वीजा की जगह बी-1 वीजा
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल जेवियर बेसेरा ने कहा कि इंफोसिस अपने ऊपर लगे आरोपों को निपटाने के लिए 8 लाख डॉलर का भुगतान करेगी। आरोपों में कहा गया था कि 2006 से 2017 के बीच कंपनी के करीब 500 कर्मचारी एच-1 बी वीजा की जगह बी-1 वीजा पर राज्य में काम कर रहे थे। इस गलत वर्गीकरण के चलते इंफोसिस कैलिफोर्निया पेरोल करों का भुगतान करने से बच गई। इसमें बेरोजगारी बीमा, विकलांगता बीमा और रोजगार प्रशिक्षिण कर शामिल हैं।
इंफोसिस का खंडन
अधिकारिक बयान में कहा गया है कि एच-1 बी वीजा में नियोक्ता को कर्मचारियों को मौजूदा स्थानीय वेतन का भुगतान करना जरूरी होता है। बेसेरा ने कहा, "इंफोसिस ने कर्मचारियों को कम भुगतान करने और करों से बचने के लिए उन्हें गलत वीजा पर लाया।" हालांकि, इंफोसिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है।
कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वह कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल के साथ समझौते पर पहुंच गई है। इंफोसिस ने कहा कि वह 13 साल से ज्यादा पुराने आरोपों पर समय, खर्च और लंबी मुकदमेबाजी से बचने के लिए समझौते पर पहुंची है। कंपनी ने कहा कि इस समझौते से मामला खारिज हो जाएगा। इंफोसिस ने कहा कि सभी नियमों और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए वह मजबूत नीतियों और प्रक्रियाओं का पालन करती है।