IOC ने खरीदा रूसी कच्चा तेल, भारी प्रतिबंधों के बीच रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण का मौकाः SBI

Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Mar, 2022 11:06 AM

ioc buys russian crude oil opportunity for internationalization

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर आशंका का माहौल है। भारत में भी आम लोगों के मन में यह डर है कि कभी भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। बहरहाल, खबर यह है कि अभी के लिए तो...

बिजनेस डेस्कः रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर आशंका का माहौल है। भारत में भी आम लोगों के मन में यह डर है कि कभी भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। बहरहाल, खबर यह है कि अभी के लिए तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि की टेंशन छोड़ दें। इसके दो कारण है। पहला- कच्चे तेल में बढ़ोत्तरी के खिलाफ भारत में अपनी पूरी तैयारी कर रखी है। देश की शीर्ष रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉर्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रूस से 30 लाख बैरल रूसी युराल की खरीदारी की। कच्चे तेल की यह खेप मई में भारत को मिलेगी। वहीं रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता और शांति बहाली के प्रयासों का असर है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई है। युद्ध के दौरान यह दाम पिछले दिनों रिकॉर्ड 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था।

भारतीय स्टेट बैंक ने सौदे पर अपनी रिपोर्ट पेश की
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर रूस पर पश्चिमी आर्थिक प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए रुपया-रूबल या युआन-रूबल व्यापार का प्रस्ताव करने वाले देश भारतीय मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए एक अवसर हैं।

अंतर्राष्ट्रीयकरण का अर्थ है कि एक मुद्रा का निवासी और गैर-निवासियों दोनों द्वारा स्वतंत्र रूप से लेन-देन किया जा सकता है और विश्व व्यापार के लिए आरक्षित मुद्रा के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय है और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बढ़ने के बाद बढ़ते दबाव के मद्देनजर रुपए को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और उनके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने रूस को स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से अलग कर दिया है और अन्य देशों के साथ मास्को के व्यापार को काट दिया है। दूसरी ओर, रूसी कंपनियां भारत को कच्चे तेल पर भारी छूट दे रही हैं।

रूस के उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने पिछले हफ्ते पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बात की और भारत को सस्ता तेल देने की पेशकश की। रूसी सरकार ने एक बयान में कहा, "पार्टियों ने ईंधन और ऊर्जा उद्योगों में मौजूदा और संभावित संयुक्त परियोजनाओं पर चर्चा की और कहा कि मौजूदा परियोजनाओं को जारी रखा जा सकता है।" पिछले साल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक और वित्तीय रिपोर्ट में कहा गया था कि रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण एटल है लेकिन यह मौद्रिक नीति को जटिल करेगा।

जून तक डॉलर के मुकाबले रुपया 77.5
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि यदि यूक्रेन-रूस युद्ध जारी रहा तो रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर जून तक 77.5 के निचले स्तर पर पहुंच सकता है और दिसंबर तक यह मामूली सुधार के साथ 77 के स्तर पर आ जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कच्चा तेल 130 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर बना रहा, तो चालू खाता घाटा (सीएडी) 3.5 फीसदी होगा, जिससे विकास दर घटकर 7.1 फीसदी पर आ जाएगी।

भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने सोमवार को एक टिप्पणी में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में कच्चे तेल की औसत कीमत 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ जाती है, तो इससे वृद्धि दर घटकर 7.6 प्रतिशत के स्तर पर आ जाएगी, जिसके पहले आठ प्रतिशत रहने का अनुमान था।

ऐसे में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत हो जाएगी, और चालू खाता घाटा बढ़कर 86.6 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.5 प्रतिशत हो जाएगा। टिप्पणी में कहा गया कि अगर तेल की औसत कीमत 130 अरब डॉलर रहती है तो चालू खाता घाटा 3.5 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
 

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