इंडियंस के लिए खुले जापान के दरवाजे

Edited By ,Updated: 08 Feb, 2017 12:11 PM

japan  s doors open for indians

अमरीका में भले ही भारतीय निवेशकों और नौकरी चाहने वालों के सपने टूटते हुए लग रहे हों पर दुनिया की एक और बड़ी आर्थिक ताकत जापान ने अपने यहां भारतीय निवेशकों के लिए अर्थव्यवस्था के कई सैक्टरों में निवेश हेतु अपने दरवाजे खोल दिए हैं।

नई दिल्लीः अमरीका में भले ही भारतीय निवेशकों और नौकरी चाहने वालों के सपने टूटते हुए लग रहे हों पर दुनिया की एक और बड़ी आर्थिक ताकत जापान ने अपने यहां भारतीय निवेशकों के लिए अर्थव्यवस्था के कई सैक्टरों में निवेश हेतु अपने दरवाजे खोल दिए हैं। भारतीय निवेशकों को यह भी छूट होगी कि वे इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और टैक्नीशियनों जैसे अन्य पेशेवरों को काम पर जापान ला सकते हैं। 

ऑटो सैक्टर का काफी पुराना रिश्ता 
भारत और जापान में ऑटो सैक्टर का काफी पुराना रिश्ता है। जापानी कम्पनियां अपने ऑटो उद्योग के लिए भारत से स्पेयर पार्ट्स आयात करती हैं। जापान चाहेगा कि भारतीय कम्पनियां जापान में ही जाकर स्पेयर पार्ट्स बनाएं। जापान के पर्यटन उद्योग पर चीन का दबदबा है। जापान चाहेगा कि भारतीय पर्यटन कम्पनियां जापान में निवेश करें जिससे भारत और जापान दोनों को फायदा होगा। 

जापान कर रहा वीजा नीति में सुधार
जापान इसके लिए अपनी वीजा नीति में भारी सुधार करने जा रहा है। जापान अब योग्य भारतीय युवकों के लिए ग्रीन कार्ड प्रदान करने के नियम को काफी उदार बनाने जा रहा है। जापान में पहले से ही सूचना तकनीक की कई भारतीय कम्पनियां निवेश कर चुकी हैं लेकिन अब जापान की नई नीति से न केवल सूचना तकनीक कम्पनियां बल्कि दवा और ऑटो सैक्टर की कम्पनियों के लिए भी जापान जाना आकर्षक हो जाएगा। 

बनना चाहता है भारत का सामरिक सांझेदार 
जापान के विदेशी व्यापार संगठन (जेट्रो) के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रैजीडैंट शिगेकी मायदा ने बताया कि आर्थिक क्षेत्र में जापान भारत का सामरिक सांझेदार बनना चाहता है। जापान में भारतीय निवेश को आकर्षित करने के इरादे से भारतीय उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए गोष्ठियां भी कर रहा है। वाणिज्य संगठन सी.आई.आई. के साथ आयोजित एक गोष्ठी को यहां जापानी राजदूत केंजी हीरामात्सु ने भी सम्बोधित किया और जापान की नई निवेश नीति का खुलासा किया। 

भारत का केवल 5 अरब का ही निवेश
मायदा ने बताया कि जापान में भारत का अब तक केवल 5 अरब रुपए का ही निवेश हुआ है जबकि भारत में जापानी निवेश 955 अरब रुपए तक पहुंच चुका है। जापान देख रहा है कि भारतीय निवेश यदि अमरीका, ब्रिटेन और सिंगापुर जा सकता है तो जापान क्यों नहीं। जापान चाहता है कि भारतीय दवा कम्पनियां अपने उत्पाद जापान को निर्यात करने के बदले सीधे जापान में ही निवेश करें और वहीं अपना बाजार बनाएं।

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