'केरोसिन सबसिडी को सही लक्ष्य तक पहुंचाना सरकार का अगला एजेंडा'

Edited By ,Updated: 01 Oct, 2016 07:12 PM

kerosene arun jaitley

खाद्यान्न और उर्वरक की सबसिडी को सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने के शुरूआती प्रयोग के बाद सरकार का इरादा अब केरोसिन का दुरुपयोग

नई दिल्ली: खाद्यान्न और उर्वरक की सबसिडी को सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने के शुरूआती प्रयोग के बाद सरकार का इरादा अब केरोसिन का दुरुपयोग और इसकी कालाबाजारी रोकने का है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज यह बात कही। आब्जर्वर रिसर्च फाऊंडेशन के एक कार्यक्रम में आज उन्होंने कहा, ‘‘देश के कुछ हिस्सों में केरोसिन का उपयोग ईंधन के रूप में होता है, जबकि कई हिस्सों में इसका दुरुपयोग होता है। भारी मात्रा में केरोसिन को इधर से उधर किया जाता है इसलिए राज्य इसे नियंत्रण मुक्त करना चाहते हैं क्योंकि इसमें काफी दुरपयोग हो रहा है।’’ उन्होंने इस संबंध में चंढीगड़ और हरियाणा का जिक्र किया जो कि केरोसिन को नियंत्रण मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं।  

जेतली ने कहा, ‘‘जहां तक वस्तुओं की आपूर्ति को तर्कसंगत बनाने की बात है, हमारे एजेंडा में यह एक अगली वस्तु है। हालांकि, अभी भी समाज का एक वर्ग है जो कि केरोसिन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करता है। आपको केरोसिन के मामले में समस्या से निपटने के लिए एक प्रणाली ढूंढनी होगी।’’ राशन की दुकानों से बिकने वाले सबसिडी प्राप्त केरोसिन को उसके वाजिब लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए वर्ष 2016-17 के दौरान देश के 39 जिलों में केरोसिन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना को शुरू किया जाए। ये जिले देशभर के 9 राज्यों में होंगे। इनका चयन राज्यों की सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद किया गया है। ये राज्य हैं पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़। उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के तहत ला रही है और इसके अनुभव को देख रही है।  

जेतली ने कहा, ‘‘कहीं उर्वरक के मामले में सबसिडी को सीधे लाभार्थी के हाथ में पहुंचाया जा रहा है तो कहीं खाद्यान्न में यह प्रयोग हो रहा है। इसका सबसे बड़ा जो लाभ्ज्ञ होगा वह इसके दुरुपयोग को रोकना है। भ्रष्टाचार दूर होगा और दोहराव रकेगा तथा सबसिडी सही हाथों में पहुंचेगी।’’ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना को अमल में लाने से सरकार को सबसिडी को प्रभावी तरीके से सही लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। साथ ही इस प्रक्रिया में धन की भी बचत होगी। बचे धन का सामाजिक विकास के दूसरे कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस समूची प्रक्रिया के पीछे यही सोच है कि समाज के कमजोर वर्गों तक लाभ पहुंचाने के मौजूदा प्रक्रिया में जो दुरुपयोग और क्षरण होता है उसे रोका जाए। क्योंकि इसके चलते लाभ का छोटा हिस्सा ही लक्ष्य तक पहुंच पाता है।’’ 

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