पहली तिमाही में LIC का कर मूल्य 40 प्रतिशत बढ़कर 5.7 लाख करोड़ रुपये

Edited By rajesh kumar,Updated: 06 Dec, 2020 07:38 PM

lic s tax value up 40 percent in first half to rs 5 7 lakh crore

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम लि.) के खाते में पड़े शेयरों का मूल्य सितंबर तिमाही में 77 अरब डॉलर (5.7 लाख करोड़ रुपये) को पार कर गया। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसमें 40 प्रतिशत से अधिक की तेजी आयी।

मुंबई: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम लि.) के खाते में पड़े शेयरों का मूल्य सितंबर तिमाही में 77 अरब डॉलर (5.7 लाख करोड़ रुपये) को पार कर गया। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसमें 40 प्रतिशत से अधिक की तेजी आयी। हालांकि यह मार्च 2018 को समाप्त तिमाही के 84 अरब डॉलर के रिकार्ड से कम है। लेकिन दूसरी तिमाही से बाजार में करीब 13 प्रतिशत की तेजी आयी है। इससे एलआईसी के पास मौजूद शेयरों का मूल्य उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकता है।

ब्रोकरेज कंपनी कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2000 को समाप्त तिमाही में एलआईसी के पास उपलब्ध शेयरों का मूल्य केवल 4 अरब डॉलर था। उस समय शेयर बाजार बीएसई का बाजार पूंजीकरण केवल 102 अरब डॉलर था। वर्ष 2010 में एलआईसी के पास उपलब्ध इक्विटी का मूल्य बढ़कर 59 अरब डॉलर हो गया जबकि बाजार पूंजीकरण 1,140 अरब डॉलर था। उसके बाद से एलआईसी के पोर्टफोलियो मूल्य में लगातार वृद्धि हो रही है और यह मार्च 2018 में रिकॉर्ड 84 अरब डॉलर पहुंच गया था। उस दौरान शेयर बाजार पूंजीकरण 1,670 अरब डॉलर था।

रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2019 में बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1,800 अरब डॉलर पहुंच गया और उस समय एलआईसी के शेयर पोर्टफोलियो का मूल्य 81 अरब डॉलर था। और जब एलआईसी के पास उपलब्ध शेयरों का मूल्य 77 अरब डॉलर है, बीएसई सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1,770 अरब डॉलर था। दूसरी तिमाही के अंत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी बीएसई-200 सूचकांक में बढ़कर 415 अरब डॉलर हो गयी जो पहली तिमाही में 360 अरब डॉलर थी। इसमें एडीआर (अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट) और जीडीआर (ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीट) शामिल हैं। बीएसई 200 सूचकांक खाता देश के बाजार पूंजीकरण का 84 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

आलोच्य तिमाही के दौरान एफपीआई ने बाजार में 46,900 करोड़ रुपये लगाया। इससे एफपीआई की बीएसई-200 सूचकांक में हिस्सेदारी 23.3 प्रतिशत पहुंच गयी। ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार इसके विपरीत घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की हिस्सेदारी दूसरी तिमाही में बीएसई-200 सूचकांक में घटकर 13.6 प्रतिशत पर आ गयी जबकि पहली तिमाही में यह 14 प्रतिशत थी। डीआईआई ने अप्रैल से 63,500 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे थे। 

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