मिस्त्री ने चलाए टाटा पर आरोपों के तीर, नैनो को लेकर अहम खुलासा

Edited By ,Updated: 27 Oct, 2016 02:32 PM

mistry launched the arrow of allegations on tata  says nano should be shut

टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए जाने से साइरस मिस्त्री बेहद हैरान है। इस सबसे आहत साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं

नई दिल्लीः टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए जाने से साइरस मिस्त्री बेहद हैरान है। इस सबसे आहत साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं और कहा है कि कंपनी में उन्हें 'एक निरीह चेयरमैन' की स्थिति में ढकेल दिया गया था। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में बदलाव से टाटा समूह में कई वैकल्पिक शक्ति केंद्र बन गए थे।  टाटा संस के निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे एक गोपनीय किंतु विस्फोटक ईमेल में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अपनी बात रखने का कोई मौका दिए बिना ही भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह के चेयरमैन पद से हटाया गया। मिस्त्री का कहना है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई ‘चटपट अंदाज’ में की गई। उन्होंने इसे कारपोरेट जगत के इतिहास की अनूठी घटना बताया।

मिस्त्री ने ई-मेल में कहा-‘24 अक्तूबर 2016 को निदेशक मंडल की बैठक में जो कुछ हुआ, वह हैरान करने वाला था और उससे मैं अवाक रह गया। वहां की कार्यवाही के अवैध और कानून के विपरीत होने के बारे में बताने के अलावा, मुझे यह कहना है कि इससे निदेशक मंडल की प्रतिष्ठा में कोई वृद्धि नहीं हुई। इस ई-मेल में उन्होंने लिखा है-‘अपने चेयरमैन को बिना स्पष्टीकरण और स्वयं के बचाव के लिए कोई मौका दिए बिना इस तरह से हटाना कारपोरेट इतिहास में अनूठा मामला है।’ मिस्त्री के आरोपों के बारे में टाटा संस से जवाब लेने की कोशिश की गई। लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

टाटा समूह के पूर्व प्रमुख ने कहा कि उन्हें दिसंबर 2012 में जब नियुक्त किया गया था, उन्हें काम करने में आजादी देने का वादा किया गया था, लेकिन कंपनी के संविधान में संशोधन व टाटा परिवार ट्रस्ट और टाटा संस के निदेशक मंडल के बीच संवाद संपर्क के नियम बदल दिए गए थे। साइरस मिस्त्री ने कहा कि उन्हें समस्याएं विरासत में मिलीं। उन्होंने कहा है कि निदेशक मंडल में टाटा पारिवार के ट्रस्टों के प्रतिनिधि ‘केवल डाकिये’ बन कर रह गए थे। वे बैठकों को बीच में छोड़ कर ‘श्रीमान टाटा’ से निर्देश लेने चले जाते थे। 

टाटा और अपने बीच बेहतर संबंध नहीं होने का स्पष्ट संकेत देते हुए उन्होंने अपने ईमेल में रतन टाटा द्वारा शुरू की गई घाटे वाली नैनो कार परियोजना का मुद्दा भी उठाया है। उन्होंने कहा कि इसे भावनात्मक कारणों से बंद नहीं किया जा सका। एक कारण यह भी था कि इसे बंद करने से बिजली की कार बनाने वाली एक इकाई को ‘सूक्ष्म ग्लाइडर’ की आपूर्ति बंद हो जाती। उस इकाई में टाटा की हिस्सेदारी है।


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