Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Jan, 2019 06:34 PM
मोदी सरकार की ओर से 1 फरवरी को अपने पहले कार्यकाल का आखिरी आम बजट पेश किया जाएगा। लोकसभा चुनावों को देखते हुए बजट में लोकलुभावन व्यवस्था करने की कयासबाजी तेज हो गई है। रिपोर्ट के अुनसार, मोदी सरकार अपना खजाना भरने के
नई दिल्लीः मोदी सरकार की ओर से 1 फरवरी को अपने पहले कार्यकाल का आखिरी आम बजट पेश किया जाएगा। लोकसभा चुनावों को देखते हुए बजट में लोकलुभावन व्यवस्था करने की कयासबाजी तेज हो गई है। रिपोर्ट के अुनसार, मोदी सरकार अपना खजाना भरने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना पर विचार कर रही है। इसके अलावा कई ऐसी अन्य कंपनियों के शेयर भी खुले बाजार में बेचने की तैयारी है। 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष (2019-20) में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 11.21 बिलियन डॉलर (80 हजार करोड़ रुपया) जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। बजट में इसका प्रावधान किया जा सकता है। रिपोर्ट में बजट पर जारी चार्चा से जुड़े मोदी सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला दिया गया है। बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष में भी सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचकर 80 हजार करोड़ रुपया हासिल करने का टारगेट रखा गया है।
इन कंपनियों में बेची जा सकती है हिस्सेदारी
वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को बजट पेश करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर पैसा जुटाने की बात का उल्लेख किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया का निजीकरण किया जा सकता है। इसके अलावा सरकारी क्षेत्र की तीन बीमा कंपनियों को एक फर्म में तब्दील किया जाएगा और उसके बाद उसे बेचा जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंश्योरेंस का विलय कर एक एकीकृत बीमा कंपनी गठित करने पर विचार कर रही है। 20 अन्य सरकारी कंपनियों के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (इन्वेस्टमेंट फंड का एक प्रकार जिसका शेयर बाजार में इस्तेमाल या ट्रेड किया जाता है) की यूनिट को भी बेचा जा सकता है। इसके अलावा मोदी सरकार टेलीकम्यूनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया, इंडियन रेलवे की सब्सिडियरी IRCTC, रेलटेल कॉरपोरेशन इंडिया और नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन में आईपीओ के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है।
लक्ष्य हासिल करने में पिछड़ी मोदी सरकार
मौजूदा वित्त वर्ष के खत्म होने में महज दो महीने का वक्त बचा है। ऐसे में इस बात की आशंका गहरा गई है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर फंड इकट्ठा करने के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा या नहीं। दरअसल, इस माध्यम से अभी तक 35 हजार करोड़ रुपए ही जुटाया जा सका है, जबकि लक्ष्य 80 हजार करोड़ रुपए का रखा गया था। ऐसे में सरकार लक्ष्य का 43 फीसदी ही हासिल कर सकी है। मौजूदा वित्त वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है।