नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी श्रमिकों पर!

Edited By ,Updated: 21 May, 2017 10:12 AM

most of the ban on bankrupt workers

नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी श्रमिकों पर पड़ी। नोटबंदी के समय दिसम्बर-2016 में समाप्त 3 महीनों के दौरान 1.52 लाख लोगों को काम नहीं मिला।

नई दिल्ली: नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी श्रमिकों पर पड़ी। नोटबंदी के समय दिसम्बर-2016 में समाप्त 3 महीनों के दौरान 1.52 लाख लोगों को काम नहीं मिला। सरकार ने पिछले साल नवम्बर में 500 और 1000 रुपए के नोटों को अवैध करार दिया था जिससे आर्थिक गतिविधि में बाधा आई।श्रम मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में रोजगार के परिदृश्य पर तैयार तिमाही रिपोर्ट के अनुसार 1 अक्तूबर, 2016 की तुलना में 1 जनवरी, 2017 को आई.टी., परिवहन, विनिर्माण समेत 8 क्षेत्रों में आकस्मिक तौर पर रखे जाने वाले दिहाड़ी श्रमिकों की श्रेणी में 1.52 लाख नौकरियों की कमी आई।

हालांकि इस दौरान पूर्णकालिक श्रमिकों की श्रेणी में 1.68 लाख की वृद्धि हुई जबकि अंशकालिक कामगारों की संख्या 46,000 घट गई।अक्तूबर-दिसम्बर के दौरान अनुबंधित और नियमित नौकरियों में क्रमश: 1.24 लाख और 1.39 की वृद्धि हुई। अक्तूबर-दिसम्बर में उसकी पिछली तिमाही की तुलना में नौकरियों में 1.22 लाख की वृद्धि हुई जिनमें आर्थिक गतिविधि, लिंग, श्रमिक के प्रकार (नौकरी एवं स्वरोजगार), रोजगार की स्थिति (नियमित, अनुबंधित और दिहाड़ी) तथा काम का समय (अंशकालिक या पूर्णकालिक) शामिल हैं। वहीं स्वरोजगार श्रेणी में इस दौरान 11,000 की वृद्धि हुई। 

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