Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Nov, 2018 06:27 PM
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी और आयल इंडिया के दर्जनों बंद पड़े क्षेत्रों से यदि उत्पादन शुरू किया जाता है तो देश का प्राकृतिक गैस उत्पादन एक तिहाई तक बढ़ सकता है।
नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी और आयल इंडिया के दर्जनों बंद पड़े क्षेत्रों से यदि उत्पादन शुरू किया जाता है तो देश का प्राकृतिक गैस उत्पादन एक तिहाई तक बढ़ सकता है। हालांकि, कंपनियां इन क्षेत्रों से उत्पादन शुरू करने के लिए उन्हें बिक्री की आजादी और लाभकारी मूल्य तय करने की छूट चाहती हैं। तमाम मुद्दे की जानकारी रखने वाले लोगों का यह कहना है।
देश में वर्तमान में प्रतिदिन करीब 9 करोड़ घनमीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन होता है। सरकार की वर्ष 2022 तक देश में गैस उत्पादन बढ़ाकर दोगुना करने की योजना है ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके और प्रदूषण फैलाने वाले कुछ तरल ईंधन को इस्तेमाल से हटाया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि उत्पादन दोगुना करने के लिए गहरे समुद्री क्षेत्रों और सीमावर्ती इलाकों में तेल एवं गैस क्षेत्र में 10 अरब डॉलर का भारी निवेश करना पड़ेगा। इस लिहाज से ओएनजीसी और आयल इंडिया द्वारा पहले से खोजे गए क्षेत्रों में उत्पादन शुरू करना बेहतर होगा। प्राकृतिक गैस का दाम इस समय 3.36 डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) चल रहा है जो कि उत्पादन लागत से काफी कम है। यही वजह है कि ओएनजीसी और आयल इंडिया लिमिटेड इन बंद पड़े क्षेत्रों से उत्पादन शुरू नहीं कर पाई है।
सूत्रों के मुताबिक ओएनजीसी के पास पूर्वी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, पश्चिम तटीय क्षेत्र में गुजरात और मुंबई में 35 अरब घनमीटर का उत्पादन योग्य भंडार है। इसी प्रकार आयल इंडिया की आंध्र प्रदेश में कृष्णा गोदावरी बेसिन में जमीन पर खोजे गए ब्लाक हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार यदि इन क्षेत्रों से होने वाले उत्पादन पर मूल्य निर्धारण और बिक्री की छूट दे देती है तो इन सभी क्षेत्रों से उत्पादन शुरू किया जा सकता है।