मुनाफाखोरी मामले में स्पष्ट दिशानिर्देश की दरकार, ई-वे बिल की सीमा बढ़ाने की जरूरत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Jul, 2018 04:27 PM

need to increase the limit of e way bill

उद्योग संगठन सीआईआई ने माल एवं सेवाकर परिषद (जीएसटी परिषद) से कहा है कि उसे मुनाफाखोरी- रोधी मुद्दे पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिए।

नई दिल्लीः उद्योग संगठन सीआईआई ने माल एवं सेवाकर परिषद (जीएसटी परिषद) से कहा है कि उसे मुनाफाखोरी- रोधी मुद्दे पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिए। इसके साथ ही उसने कहा है कि राज्य के भीतर माल परिवहन के लिए ई-वे बिल लेने की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया जाना चाहिए।

जीएसटी परिषद को भेजे एक ज्ञापन में सीआईआई ने कहा है कि कारोबारियों के लिए ट्रान-1 सुविधा को एक बार फिर से खोला जाना चाहिए ताकि वह पुरानी व्यवस्था से जीएसटी व्यवस्था में जाने के दौरान अपने पुराने बकाये क्रेडिट का दावा कर सकें। कई कारोबारी इस सुविधा का पहले लाभ नहीं उठा पाए हैं। जीएसटी परिषद की अगली बैठक चार अगस्त को होने वाली है। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा है कि जीएसटी व्यवस्था के तहत मुनाफाखोरी- रोधी प्रावधान को पहली बार पेश किया गया है लेकिन इसमें जीएसटी के तहत लाभ की गणना करने को लेकर कोई कार्य प्रणाली तय नहीं की गई है। इससे आने वाले समय में विवाद और जटिलताएं बढ़ सकतीं हैं। यह एक प्रकार से कारोबार सुगमता के सिद्धांत के भी खिलाफ है।

उद्योग मंडल ने यह भी मांग की है कि राज्य के भीतर ही माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के वास्ते ई-वे बिल की आवश्यकता को एकमुश्त बढ़ाकर एक लाख रुपये कर  दिया जाना चाहिए। सीआईआई का कहना है कि कुछ राज्यों ने राज्य के भीतर ही माल परिवहन के लिए ई-वे बिल की अनिवार्यता को बढ़ाकर एक लाख रुपए किया है, इसे पूरे देश में बढ़ाने की जरूरत है। यहां तक कि एफएमसीजी, किराना उत्पादों की आपूर्ति में भी काफी परेशानी आ रही है और कई व्यापारियों को समस्य आ रही है। 

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