Edited By Supreet Kaur,Updated: 23 Apr, 2018 04:54 PM
सरकार ने नई औद्योगिक नीति को अंतिम रूप दे दिया है और इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज यहां अंतर्राष्ट्रीय एसएमई ....
नई दिल्लीः सरकार ने नई औद्योगिक नीति को अंतिम रूप दे दिया है और इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज यहां अंतर्राष्ट्रीय एसएमई सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। नई नीति 1991 की औद्योगिक नीति का स्थान लेगी, जिसे भुगतान संतुलन संकट के मद्देनजर तैयार किया गया था।
प्रभु ने कहा, ‘‘हमने नई औद्योगिक नीति को अंतिम रूप दे दिया है और इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। अभी यह अंतर मंत्रालयी विचार विमर्श की प्रक्रिया में है।’’ प्रस्तावित नीति का मकसद उभरते क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना और मौजूदा उद्योगों का आधुनिकीकरण है। साथ ही इसमें नियामकीय अड़चनों को कम करने का भी प्रयास किया जाएगा और रोबोटिक्स तथा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को अपनाने पर जोर दिया जाएगा। औद्योगिक नीति एवं संवद्र्धन विभाग (डीआईपीपी) ने पिछले साल अगस्त में औद्योगिक नीति का मसौदा जारी किया था। इसके तहत अगले दो साल में रोजगार सृजन, विदेशी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहन के अलावा सालाना आधार पर 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल करने का लक्ष्य है।
सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रभु ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए इस क्षेत्र में व्यापक क्षमता है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए कदम उठा रही है। अकबर ने कहा, ‘‘आपको पता है कि मुद्रा योजना के तहत कितना पैसा स्थानांतरित किया गया है। यह 4,30,000 करोड़ रुपये से अधिक है।’’ उन्होंने कहा कि यह राशि 12 करोड़ लोगों को स्थानांतरित की गई है, जो अब रोजगार और उत्पाद का सृजन कर रहे हैं। एमएसएमई मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार ने क्षेत्र में कारोबार सुगमता को बढ़ावा दिया है और अब किसी इकाई का पंजीकरण मिनटों में हो सकता है।