नहीं दिया क्लेम, अब रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी देगी हर्जाना

Edited By Pardeep,Updated: 10 Apr, 2018 04:51 AM

no claim given reliance life insurance company will now pay damages

जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने एक याचिकाकत्र्ता को क्लेम नहीं देने पर रिलायंस लाइफ इंश्योरैंस कम्पनी लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह याचिकाकत्र्ता के इलाज पर आए पूरे खर्च सहित मुआवजा तथा अदालती खर्च 30 दिन में अदा करे, नहीं तो उसे पूरी राशि 9 प्रतिशत...

गुरदासपुर: जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने एक याचिकाकत्र्ता को क्लेम नहीं देने पर रिलायंस लाइफ इंश्योरैंस कम्पनी लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह याचिकाकत्र्ता के इलाज पर आए पूरे खर्च सहित मुआवजा तथा अदालती खर्च 30 दिन में अदा करे, नहीं तो उसे पूरी राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करनी होगी।

क्या है मामला
अमित कुमार पुत्र राम लाल निवासी गांव बाबोवाल तहसील व जिला गुरदासपुर ने फोरम के समक्ष दायर याचिका में आरोप लगाया कि उसने गुरदासपुर स्थित रिलायंस लाइफ इंश्योरैंस कार्यालय में अपनी मैडी-क्लेम इंश्योरैंस करवाई थी जिस संबंधी उसने 3500 रुपए प्रीमियम भी अदा किया। इंश्योरैंस पालिसी एक साल के लिए थी जिसमें उसे 2 लाख 10 हजार रुपए तक का इलाज करवाने की सुविधा थी। उसने बताया कि 21 अक्तूबर 2015 को उसे सीने में दर्द शुरू हुआ तो उसने डाक्टर को दिखाया, जिस पर उसने कहा कि हार्ट संबंधी कोई तकलीफ है जिस पर वह ग्रेशियन सुपरस्पैशलिस्ट अस्पताल मोहाली में 21 अक्तूबर से 24 अक्तूबर 2015 तक दाखिल रहा तथा वहां पर उसे 3 स्टंट डाले गए। 

अगले दिन रविवार था। सोमवार को उसने इंश्योरैंस कम्पनी के कार्यालय में फोन कर अपने इलाज संबंधी सारी जानकारी दी परंतु कोई न कोई बहाना बना कर टाल दिया गया। अस्पताल के डाक्टरों ने उसे 15 दिन की बैड रैस्ट के लिए कहा था। वह 16 नवम्बर को पुन: रिलायंस लाइफ इंश्योरैंस कम्पनी कार्यालय गुरदासपुर में गया तो अधिकारियों ने उसके इलाज का क्लेम देने से साफ इंकार कर दिया जबकि उसके इलाज पर 1 लाख 91 हजार रुपए अस्पताल के बिल सहित 3515 रुपए बाहर से दवाइयां खरीदने का खर्च आया था। इंश्योरैंस कम्पनी को 20 नवम्बर 2015 को लीगल नोटिस भी दिया गया, परंतु कोई लाभ न होने पर उसने फोरम का दरवाजा खटखटाया। 

यह कहा फोरम ने
फोरम के प्रधान नवीन पुरी ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलेें सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि इंश्योरैंस कम्पनी द्वारा इंश्योरैंस करवाने के बाद 3 साल के बाद इलाज की जो शर्त की बात की जा रही है, वह इंश्योरैंस करते समय याचिकाकत्र्ता को स्पष्ट नहीं की गई थी। फोरम ने आदेश दिया कि वह याचिकाकत्र्ता को उसके इलाज पर आया सारा खर्च जो लगभग 2 लाख रुपए बनता है, अदा करे तथा साथ में 5 हजार रुपए मुआवजा और 3 हजार रुपए अदालती खर्च 30 दिन में अदा करे। यदि ऐसा नहीं होता तो पूरी राशि 9 प्रतिशत ब्याज सहित फैसले की तिथि से अदा करनी होगी।

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