Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 May, 2024 03:01 PM
अमेरिका के शेयर बाजार में इतिहास में पहली बार एक ट्रिलियन डॉलर का शेयर बायबैक होने जा रहा है। देश की कई बड़ी-बड़ी कंपनियों ने शेयर बायबैक की घोषणा की है। इस लिस्ट में ताजा नाम आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल (Apple) का है। कंपनी ने 110 अरब डॉलर के शेयर...
नई दिल्ली: अमेरिका के शेयर बाजार में इतिहास में पहली बार एक ट्रिलियन डॉलर का शेयर बायबैक होने जा रहा है। देश की कई बड़ी-बड़ी कंपनियों ने शेयर बायबैक की घोषणा की है। इस लिस्ट में ताजा नाम आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल (Apple) का है। कंपनी ने 110 अरब डॉलर के शेयर बायबैक की घोषणा की है जो उसके इतिहास में सबसे बड़ा बायबैक है। इसी तरह फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स (Meta Platforms) और गूगल (Google) ने भी शेयर बायबैक की घोषणा की है। मेटा ने 50 अरब डॉलर के शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है जबकि गूगल में 70 अरब डॉलर के शेयर बायबैक की घोषणा की है। ये तीन कंपनियां मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में शामिल हैं। ऐपल दुनिया की दूसरी, गूगल चौथी और मेटा सातवीं मूल्यवान कंपनी है।
गोल्डमैन सैश के एनालिस्ट्स ने पिछले महीने अनुमान जताया था कि इस साल अमेरिका में एसएंपी 500 कंपनियों का शेयर बायबैक 925 अरब डॉलर रह सकता है और अगले साल यह एक ट्रिलियन डॉलर के पार जाएगा। लेकिन हाल में जिस तरह बड़ी कंपनियों ने शेयर बायबैक की घोषणा की है, उससे एक ट्रिलियन डॉलर का शेयर बायबैक इसी साल हासिल किया जा सकता है। सेंट्रल बैंक के ब्याज दरों में कटौती की संभावना से इसमें मदद मिलने की संभावना है। टेक शेयरों में तेजी से इस साल एसएंडपी इंडेक्स रेकॉर्ड पर है। अमेरिका में पिछले साल यानी 2023 में शेयर बायबैक 815 अरब डॉलर रहा था जो 2022 के मुकाबले 14 फीसदी कम था। 2022 में यह 950 अरब डॉलर रहा था।
क्या होता है शेयर बायबैक
जब किसी कंपनी के पास बहुत ज्यादा मात्रा में कैश होता है तो वह अपने निवेशकों को उनके निवेश की ज्यादा वैल्यू देने के लिए शेयर बायबैक का विकल्प करती हैं। इसके तहत कंपनी एक निश्चित कीमत पर बाजार से अपने शेयरों को वापस खरीदती है। इसे शेयर बायबैक कहा जाता है। अक्सर कंपनियां अपने शेयरों की मार्केट वैल्यू से अधिक कीमत पर स्टॉक्स की खरीद करती हैं। इससे निवेशकों के साथ-साथ कंपनी को भी फायदा होता है। बायबैक से कंपनियों की शेयरहोल्डिंग बढ़ जाती है और दूसरे शेयरहोल्डर कंपनी को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। जब भी कोई कंपनी अपने शेयर का बायबैक करती है तो उसे हमेशा पॉजिटिव माना जाता है। इससे पता चलता है कि कंपनी की स्थिति काफी मजबूत है।