चीन से आयात फार्मा कंपनियों को पड़ा महंगा! देना पड़ा 2 करोड़ रुपए का अतिरिक्त शुल्क

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jul, 2020 01:48 PM

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चीन से आयात होने वाले सामान का बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है लेकिन इन्हीं सब के बीच कुछ कंपनियों को देरी के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फार्मास्युटिकल कंपनियों का आरोप है कि उन्हें चीन की उन खेपों पर भारी विलम्ब शुल्क का सामना

नई दिल्लीः चीन से आयात होने वाले सामान का बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है लेकिन इन्हीं सब के बीच कुछ कंपनियों को देरी के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फार्मास्युटिकल कंपनियों का आरोप है कि उन्हें चीन की उन खेपों पर भारी विलम्ब शुल्क का सामना करना पड़ रहा है जो एयरपोर्ट्स पर बिना किसी गलती के फंसी हुई हैं। हालांकि कस्टम विभाग द्वारा चीन से आने वाले कुछ दवा कंटेनर को मंजूरी दी गई है। फार्मा कंपनियों का कहना है कि करीब 200 टन कच्चा माल एयरपोर्ट पर फंसा हुआ है।

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक़, फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि कुछ प्रमुख दवा कंटेनर जिनमें विटामिन और कुछ महत्वपूर्ण दवाओं आदि की खेप है जिन्हें अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। उसके साथ ही पोर्ट अथॉरिटी देरी के लिए डिमार्ज चार्ज की मांग कर रहे हैं। विलम्ब शुल्क आयातक पर लगाया जाने वाला शुल्क है जो आवंटित समय से ज्यादा समय होने पर लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि हवाई खेपों के मामले में, कार्गो टर्मिनल पर पहुंचने के 24 घंटे बाद से अधिकारियों ने विलम्ब शुल्क लगाया जा रहा है।

2 करोड़ रुपए का भुगतान 
फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्ससिल) के चेयरमैन दिनेश दुआ ने कहा कि कई फार्मा कंपनियों ने अपनी एयर कंसाइनमेंट के लिए विलम्ब शुल्क का भुगतान किया है। यह शुल्क 14 रुपए से लेकर 22 रुपए प्रतिदिन प्रति किलो की दर से लिया जा रहा है। दुआ के अनुसार अभी तक 200 टन कच्चा माल फंसा हुआ था जिसके लिए करीब 2 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

फार्मा कम्पनियों के वर्किंग केपिटल पर पड़ रहा असर
उन्होंने कहा कि हम एयरपोर्ट पर होल्डअप करना काफी सराहनीय है लेकिन ये विलम्ब शुल्क बहुत ज्यादा है, जो फार्मा कम्पनियों के वर्किंग केपिटल के ऊपर अतिरिक्त बोझ है। एयर कंसाइनमेंट का क्लियरेंस मिलने में औसतन 6 से 10 दिन का समय लग रहा है और इस देरी के लिए बिना किसी गलती के बहुत ज्यादा शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है। महामारी के दौरान जिन स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, उसे देखते हुए फार्मा कंपनियों को एक दिन से ज्यादा दिन का शुल्क रिफंड करना चाहिए।
 

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