PMC के बर्खास्त एमडी ने गड़बड़ी के लिए 'सतही ऑडिट' को ठहराया जिम्मेदार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Oct, 2019 04:13 PM

pmc sacked md blames  superficial audit  for the mess

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के बर्खास्त प्रबंध निदेशक (एमडी) जॉय थॉमस ने बैंक में गड़बड़ी के लिए ऑडिटरों को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया है कि समय की कमी के चलते उन्होंने बैंक के बही खातों का "सतही ऑडिट" किया।

मुंबईः पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के बर्खास्त प्रबंध निदेशक (एमडी) जॉय थॉमस ने बैंक में गड़बड़ी के लिए ऑडिटरों को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया है कि समय की कमी के चलते उन्होंने बैंक के बही खातों का "सतही ऑडिट" किया। 

भारतीय रिजर्व बैंक को 21 सितंबर को लिखे पांच पन्ने के पत्र में थॉमस ने बैंक के वास्तविक एनपीए और एचडीआईएल के कर्ज के बारे में वास्तविक जानकारी छिपाने में शीर्ष प्रबंधन समेत निदेशक मंडल के कुछ सदस्यों की भूमिका को कबूल किया है। हालांकि, थॉमस ने आरबीआई को भेजे पत्र में किसी ऑडिटर के नाम का जिक्र नहीं किया है। बैंक की 2018-19 ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, 2010-11 से बैंक के तीन ऑडिटर- लकड़वाल एंड कंपनी, अशोक जयेश एंड एसोसिएट्स और डीबी केतकर एंड कंपनी- थे। 

इन ऑडिटरों ने भेजे गए ई-मेल का 24 घंटे बाद भी जवाब नहीं दिया है। थॉमस ने पत्र में दावा किया है कि वैधानिक ऑडिटरों ने पीएमसी बैंक के बही खातों का सतही तौर पर ऑडिट किया गया था क्योंकि बैंक बढ़ रहा था। थॉमस ने दावा किया, "चूंकि बैंक के व्यवसाय में वृद्धि हो रही थी, ऑडिटरों ने समय के कमी के कारण सभी खातों के पूरे परिचालन की जांच-पड़ताल के बजाए सिर्फ बढ़े हुए कर्ज और उधार की जांच-पड़ताल की।" 

इस बैंक ने अपने कुल कर्ज का का बहुत बड़ा हिस्सा केवल एक कंपनी समूह एचडीआईएल को दे रखा है। इस वर्ष सितंबर के अंत में इस समूह पर कारीब 6500 करोड़ रुपए का बकाया था। थामस ने कहा है कि प्रतिष्ठा गिरने के डर से बैंक ने अपने बड़े खातों के बारे में रिजर्व बैंक को 2008 से कोई जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने लिखा है कि संचालक मंउल, आडिटरों और विनियामकों को बड़े खातों की जानकारी इस नहीं दी गई क्यों कि इससे प्रतिष्ठा गिरने का डर था। 2015 से पहले कुछ बड़े कर्जदारों की ज्यादातर सूचना शाखा स्तर पर ही रखी जाती थीं और उनके खातों का ब्योरा सामने नहीं आता था। स्थिति तब बदली जब रिजर्व बैंक ने 2017 में बैंक द्वारा दिए जाने वाली उधार/कर्ज की राशियों का ब्योरा मांगना शुरू किया। 
 

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