PNB घोटाले के बाद हीरे का धंधा हुआ मंदा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 04:41 AM

pnb after the scandal the business of diamond merchandise

पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) घोटाले के बाद से हीरे का धंधा लगातार मंदी की चपेट में है। बिक्री में कमी आ रही है तो इससे जुड़े कारखानों के कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। साऊथ गुजरात चैंबर ऑफ  कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की जेम्स एंड ज्यूलरी कमेटी के चेयरमैन...

कोलकाता: पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) घोटाले के बाद से हीरे का धंधा लगातार मंदी की चपेट में है। बिक्री में कमी आ रही है तो इससे जुड़े कारखानों के कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। 

साऊथ गुजरात चैंबर ऑफ  कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की जेम्स एंड ज्यूलरी कमेटी के चेयरमैन नैनेश पच्छीगर कहते हैं कि हीरा कारोबार की बिक्री में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। आयात काफी कम हो गया है, क्योंकि पी.एन.बी. घोटाले के बाद राष्ट्रीयकृत बैंकों से लोन मिलना लगभग बंद हो गया है। इसके अलावा पिछले कुछ हफ्तों में भारत के हीरों की मांग में कमी आई है, क्योंकि अब विदेशी ग्राहक भी भारत से खरीद में काफी सतर्कता बरत रहे हैं। 

क्रिसिल का अनुमान है कि भारत का समूचा रत्न और आभूषण बाजार 3.9 लाख करोड़ रुपए का है, जिसका केवल 30 प्रतिशत हिस्सा औपचारिक खुदरा क्षेत्र में है। घोटाले के बाद ज्यूलरी की बिक्री में 16 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। पी.एन.बी. घोटाले में गीतांजलि जेम्स के प्रमोटर मेहुल चौकसी भी शामिल थे। घोटाले में शामिल दोनों कम्पनियों के 3,000 स्थायी और करीब 8,000 अस्थायी कर्मचारी भी बेरोजगार हो गए हैं क्योंकि मोदी और चौकसी के रिटेल आऊटलैट और कारखाने बंद या सील हो चुके हैं। 

उद्योग संगठन एसोचैम के सर्वेक्षण के मुताबिक शुद्धता को लेकर खरीदारों की आशंका के कारण गत 2 माह में हीरे की मांग 10 से 15 प्रतिशत घट गई है। घोटाले में हीरा व्यवसायी नीरव मोदी का नाम आने से हीरे जडि़त जेवरातों की शुद्धता में खरीदारों का भरोसा घट गया है। इसका सबसे अधिक असर असंगठित क्षेत्र के सर्राफा कारोबारियों पर पड़ा है। ब्रांडेड जेवरात बनाने वाले कारोबारी शुद्धता का सर्टिफिकेट जारी करते हैं, लेकिन ऐसे शोरूम अधिकतर बड़े शहरों में हैं जबकि सबसे अधिक खरीदारी छोटे शहरों में होती है। छोटे शहरों में खरीदारी ब्रांडेड जेवरातों की नहीं बल्कि असंगठित बाजार से होती है। ऐसी खरीदारी सर्राफा कारोबारी और खरीदार के आपसी भरोसे से चलती है लेकिन, नीरव मोदी के मामले से लोगों का भरोसा इस क्षेत्र से उठ गया है।

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