कोरोना काल में दालों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, इन चीजों पर नहीं पड़ा कोई खास असर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jul, 2020 03:49 PM

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कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के बावजूद स्थानीय खुदरा बाजार में फरवरी से जून, 2020 के दौरान रसोई की वस्तुओं के दाम में कोई खास घट-बढ़ नहीं दिखी। पर एक साल पहले की तुलना में दालों के भाव में तेजी आई है।

नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के बावजूद स्थानीय खुदरा बाजार में फरवरी से जून, 2020 के दौरान रसोई की वस्तुओं के दाम में कोई खास घट-बढ़ नहीं दिखी। पर एक साल पहले की तुलना में दालों के भाव में तेजी आई है। लॉकडाउन के चलते डाटा एकत्रित करने की मुश्किलों के कारण सरकार इस दौरान खुदरा मूल्य सूचकांक के पूरे आंकड़े जारी नहीं कर सकी है। 

30% तक बढ़े दालों के दाम
दिल्ली में किराने का सामान की सामान्य दुकान से राशन की खरीदारी के मुताबिक मई, जून में उड़द छिल्का, मसूर और अरहर जैसी दालों के दाम एक साल पहले के मुकाबले 30 प्रतिशत तक बढ़ गए। आटा और चावल के दाम में एक साल पहले से छह प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई। 

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जानें किसके दाम बढ़े और घटे
हालांकि, इस साल फरवरी से जून के बीच एक आध दाल को छोड़कर खाने-पीने की अन्य जिंसों के खुदरा भाव में ज्यादा घटबढ़ नहीं दिखी। वहीं, मई-जून 2019 के मुकाबले मई-जून 2020 में खुली उड़द छिल्का का दाम सबसे ज्यादा 31.25 प्रतिशत बढ़कर 100-105 रुपए किलो, दाल मल्का-मसूर 25 प्रतिशत बढ़कर 75 रुपए किलो हो गई। इस अवधि में चना दाल तीन प्रतिशत से अधिक घटकर 62 रुपए किलो के आसपास रह गई। आटा, चावल में दो से लेकर 6 प्रतिशत तक वृद्धि हुई। हल्दी मिर्च, धनिया के दाम में क्वालिटी के मुताबिक सीमित घटबढ़ ही रही। चायपत्ती पांच प्रतिशत महंगी हुई है। चीनी खुली का दाम पिछले कुछ साल से 35-36 रुपए किलो के दायरे में ही चल रहा है। 

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सरकार की तरफ से केवल खाद्य समूह की वस्तुओं के मूल्यों के आधार पर जारी मई महीने के अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई ग्रामीण क्षेत्र में 9.69 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 8.36 प्रतिशत रही। कुल मिलाकर खाद्य समूह की खुदरा महंगाई दर 9.28 प्रतिशत रही। इसी प्रकार थोक मूल्य सूचकांक में अप्रैल के समग्र आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं जबकि मई में थोक मूल्य सूचकांक सालाना आधार पर 3.21 प्रतिशत घटा है। इस वर्ष स्थानीय खुदरा बाजार में फरवरी से जून की पांच माह की अवधि में पैकिंग वाला दस किलो आटा 330 से 340 रुपए हो गया, अरहर दाल 95 रुपए, मूंग साबूत 100 रुपए किलो पर टिकी रही लेकिन मल्का मसूर पांच-दस रुपए बढ़कर 75 रुपए किलो हो गई। 

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मजदूर और माल वाहनों की कमी से बढ़ा भाड़ा 
किराना व्यापारी बजरंग लाल गोयल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान थोक मंडियों से माल लाना काफी कठिनाई वाला काम रहा। मजदूर और माल वाहनों की कमी से भाड़ा बढ़ गया। वहीं रबी मौसम में चने की ताजा आवक होती है, इसलिए इसमें कुछ नरमी रहती है, जबकि उड़द, मूंग का मौसम समाप्ति की ओर रहता है इसलिए भाव ऊंचे रहते हैं। 
 किन अब बरसात का मौसम शुरू होने के बाद आलू, टमाटर के दाम बढ़ने लगे हैं।     

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