Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Dec, 2020 10:03 AM
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कमी आने के बावजूद सितंबर तिमाही में कंपनियों के मुनाफा में 25 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि के पीछे की वजह वेतन में कमी आना है। इससे भारत में असमानता बढ़ेगी। जाने माने अर्थशास्त्री नौरिएल रोबिनी ने बृहस्पतिवार को यह कहा।
मुंबईः सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कमी आने के बावजूद सितंबर तिमाही में कंपनियों के मुनाफा में 25 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि के पीछे की वजह वेतन में कमी आना है। इससे भारत में असमानता बढ़ेगी। जाने माने अर्थशास्त्री नौरिएल रोबिनी ने बृहस्पतिवार को यह कहा। न्यूयार्क के स्टर्न स्कूल आफ बिजनेस में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रोबिनी ने कहा कि इस तरह की बढ़ती असमानता राजनीतिक और सामाजिक रूप से खतरनाक है। क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में केवल कुछ ही लोगों को फायदा होगा।
रोबिनी ने कहा कि सितंबर तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों की आय में 25 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसका अर्थ है कि वेतन और आय यदि पूरी तरह धराशायी नहीं हुये हैं तो इनमें कमी आई है। इसे दबाया गया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रोफेसर ने कहा, ‘‘बेरोजगार और आंशिक तौर पर बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़ रही है, दूसरी तरफ जीडीपी (वस्तुओं और सेवाओं का सकल उत्पाद) जब कम हो रहा है तो कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है। इस तरह यह आय में असमानता बढ़ रही है।'' ‘‘इस तरह की असमानता ज्यादा नहीं चल सकती, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से असमानता खतरनाक होती है।'' उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति ने रिजर्व बैंक के हाथ बांध दिए हैं। उन्होंने प्रभावितों की मदद के लिये राजकोषीय नीति के मोर्चे पर मजबूत कदम उठाए जाने की वकालत की।
रोबिनी ने यह भी कहा कि भारत को मौजूदा स्थिति में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भारत को ढांचागत क्षेत्र में व्यय बढ़ाना चाहिए लेकिन उसे बैंकों से इसके वित्तपोषण पर निर्भरता को कम करना चाहिए, जैसा कि उसने किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को सामान मंगाने के लिए नए भागीदारों की तलाश करनी चाहिए। ऐसा चीन पर उसकी निर्भरता को कम करने के लिए जरूरी है।