वायरस के संक्रमण की रफ्तार, रोकथाम में लगने वाले समय से पता चल सकेगा आर्थिक नुकसान: रिजर्व बैंक

Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Mar, 2020 06:53 PM

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रिजर्व बैंक ने प्रस्तावित मौद्रिक नीतिगत घोषणा से पहले शुक्रवार को नीतिगत दरों तथा अन्य उपायों की अप्रत्याशित घोषणा की। हालांकि रिजर्व बैंक कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थिति में जोखिम को देखते हुए आर्थिक वृद्धि दर तथा मुद्रास्फीति के...

मुंबई: रिजर्व बैंक ने प्रस्तावित मौद्रिक नीतिगत घोषणा से पहले शुक्रवार को नीतिगत दरों तथा अन्य उपायों की अप्रत्याशित घोषणा की। हालांकि रिजर्व बैंक कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थिति में जोखिम को देखते हुए आर्थिक वृद्धि दर तथा मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान से दूर रहा। उसने कहा कि वायरस के संक्रमण के प्रसार तथा रोक-थाम में लगने वाले समय से ही अर्थव्यवस्था पर इसके असर का आकलन किया जा सकेगा।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण अनिश्चितता की स्थिति है, अत: आर्थिक वृद्धि दर तथा मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान से बचा गया है। उन्होंने कहा कि इनका अनुमान इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले समय में कोरोना वारस का संक्रमण किस तरीके से और कब तक फैलता है तथा इसका कितना असर होता है। आर्थिक वृद्धि दर तथा खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रमुख वृहद आर्थिक मानक हैं। इनसे अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा के संकेत मिलते हैं।

दास ने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर के 2019-20 की चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत और पूरे वित्त वर्ष में पांच प्रतिशत रहने के अनुमान फिलहाल जोखिम से घिर गये हैं। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि दुनिया भर में हर कहीं आर्थिक नरमी और सघन हो गयी है। दास ने भारत के बारे में कहा, ‘‘वृद्धि दर और मुद्रास्फीति की गति कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रकोप, अवधि तथा इसके असर पर निर्भर करेगी।’’ उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक तीन अप्रैल को मौद्रिक नीतिगत घोषणा करने वाला था। रिजर्व बैंक सामान्य तौर पर मौद्रिक नीति से जुड़ी हर घोषणा में वृद्धि दर और मुद्रास्फीति का अनुमान व्यक्त करता रहा है।

गवर्नर ने कहा कि उच्च आवृत्ति वाले सूचकांकों से निजी उपभोग पर व्यय के सर्वाधिक प्रभावित होने के संकेत मिलते हैं। आपूर्ति को देखें तो उम्मीद की एकमात्र किरण कृषि तथा इससे जुड़ी गतिविधियां हैं। खाद्यान्न उत्पादन साल भर पहले की तुलना में 2.4 प्रतिशत अधिक 29.2 करोड़ टन रहा है। दास ने कहा लगातार संकुचन के बाद विनिर्माण तथा बिजली उत्पादन में तेजी आने से जनवरी में औद्योगिक उत्पादन सकारात्मक होने में सफल रहा। हालांकि इस बात का आकलन करने के लिये अभी और आंकड़ों की जरूरत है कि क्या कोविड-19 के सामने यह तेजी टिकी रह सकेगी। 

उन्होंने कहा, वास्तविक प्रमाणों से पता चलता है कि कोरोना वायरस के कारण व्यापार, पर्यटन, विमानन, आतिथ्य-सत्कार और निर्माण जैसे कई क्षेत्रों पर भारी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि अनौपचारिक तथा अनुबंध पर काम करने वाले श्रमिकों के पलायन से कई अन्य क्षेत्रों की गतिविधियों पर भी असर देखने को मिल सकता है। दास ने कहा कि मांस-मछली, खाद्य तेल तथा दाल में कीमतों का दबाव बना हुआ था। कोरोना वायरस का इनके ऊपर क्या असर होता है, अभी यह देखना बाकी है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण मांग में भी गिरावट आ सकती है और इसका मुद्रास्फीति पर भी असर पड़ सकता है।


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