Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Nov, 2019 06:14 PM
देश के सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी भू-रणनीतिक पहुंच बढ़ाने के लिए मिलकर (समूह के रूप में) अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए बोली लगानी चाहिए। साथ ही, इन उपक्रमों को सरकारी सरहायता की योजनाओं को WTO की व्यवस्था के अनुरूप बनाकर निर्यात बढ़ाने के प्रयासों...
नई दिल्लीः देश के सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी भू-रणनीतिक पहुंच बढ़ाने के लिए मिलकर (समूह के रूप में) अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए बोली लगानी चाहिए। साथ ही, इन उपक्रमों को सरकारी सरहायता की योजनाओं को WTO की व्यवस्था के अनुरूप बनाकर निर्यात बढ़ाने के प्रयासों में सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की रिपोर्ट ‘क्या भारतीय पीएसई (सार्वजनिक लोक उपक्रम) भू-रणनीति पहुंच बढ़ा सकती हैं’ में 2022 तक निर्यात बढ़ाने तथा भू-राजनीतिक पहुंच बढ़ाने की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
इस रिपोर्ट में कई घरेलू और विदेशी बाधाओं को रेखांकित किया गया है, जो निर्यात बढ़ाने के लिए पीएसई की क्षमता प्रभावित कर रही हैं। स्वायत्तता का अभाव, विभिन्न प्रक्रियाएं और प्रबंधन अंतर समेत अन्य कारणों से संभावित कारोबारी अवसरों का नुकसान हो रहा है। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘पीएसई के लिए अल्पकालीन (5 साल) और दीर्घकालीन (10 साल) रूपरेखा में स्पष्ट तौर पर निर्यात और वृद्धि लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इसका उद्देश्य उनकी भू-राजनीतिक पहुंच को बढ़ाने में मदद करना है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मिलकर एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धी क्षमता, अनुभव और शक्तियों का लाभ उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए बोलियां लगानी चाहिए। उन्हें उन क्षेत्रों में क्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों का भी लाभ उठाना चाहिए, जहां उन्हें तुलनात्मक लाभ है। इसमें कहा गया है कि पीएसई की सफलता के लिए दीर्घकालीन राजनीतिक रणनीति और योजना जरूरी है। प्रत्येक नोडल मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय डेस्क होना चाहिए। ज्यादातर पीएसई निर्यात के कार्य में हैं और उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी मौजूदगी 80 से अधिक देशों में है। उनमें से कई परंपरागत बाजारों से अफ्रीका और कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम जैसे नए बाजारों की ओर जा रहे हैं। उद्योग मंडल ने भारतीय दूतावासों, नोडल मंत्रालयों, लोक उपक्रमों और उनके संगठनों के बीच सूचनाओं के साझा करने की बेहतर व्यवस्था का सुझाव दिया है।