Edited By ,Updated: 27 Nov, 2016 11:42 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने शनिवार को अचानक बैंकों को यह आदेश दिया कि वो अपने पास की अतिरिक्त नकदी जमा कर दें। देश के केंद्रीय बैंक ने यह कदम सरकार द्वारा बड़े नोटों पर पाबंदी लगाने के बाद
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने शनिवार को अचानक बैंकों को यह आदेश दिया कि वो अपने पास की अतिरिक्त नकदी जमा कर दें। देश के केंद्रीय बैंक ने यह कदम सरकार द्वारा बड़े नोटों पर पाबंदी लगाने के बाद नकदी के अथाह प्रवाह को संतुलित करने के लिए उठाया है।
नोटबंदी के बाद देशवासियों ने बैंकों में पुराने नोट जमा करवा दिए। सरकार के इस फैसले का मकसद कालेधन और जाली नोटों के कारोबार पर अंकुश लगाना है। बैंकों ने पाबंदी के बाद जमा इन नोटों का कुछ हिस्सा सरकारी बॉन्ड्स में डाल दिया। नतीजतन 10 साल का बॉन्ड यील्ड 50 पॉइंट से ज्यादा गिरकर पिछले साढ़े 7 सालों के निम्नतम स्तर पर आ गया।
आर.बी.आई. ने कहा कि बैंकों को 16 सितंबर से 11 नवंबर के दौरान जमा पूरी की पूरी नकदी कैश रिजर्व रेशो के तहत जमा कराने होंगे। आर.बी.आई. के मुताबिक यह तत्कालिक कदम है जिसकी 9 दिसंबर या उससे पहले समीक्षा की जाएगी। ट्रेडर्स ने आर.बी.आई. के इस कदम को बेहद सख्त करार दिया जो बॉन्ड मार्कीट में आई तेजी पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है। उनके मुताबिक, आर.बी.आई. थोड़ी नरमी बरतते हुए मार्कीट स्टैबलाइजेशन बॉन्ड्स की बिक्री के जरिए या रिवर्स रीपोज के तहत बैंकों को फंड सुरक्षित रखने का आदेश देकर तरलता कम करने के प्रयास कर सकता था।
आर.बी.आई. के इस ऐक्शन से बाजार की उम्मीदें भी टूटेंगी कि 7 दिसंबर को अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में वह नीतिगत ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा। खासकर तब जबकि वह अक्तूबर की पिछली मौद्रिक समीक्षा में भी 0.25% की कटौती कर चुका है। रॉयटर्स के आकलन के मुताबिक, आर.बी.आई. के इस कदम से बैंकों से 3.24 लाख करोड़ रुपए निकल जाएंगे।