सहकारी बैंकों के नियमन के लिए RBI को मिल सकती हैं पूर्ण शक्तियां

Edited By Yaspal,Updated: 17 Nov, 2019 07:16 PM

rbi can get full powers to regulate cooperative banks

रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड में निदेशक सतीश मराठे ने सरकार से सभी शहरी सहकारी बैंकों के नियमन को लेकर रिजर्व बैंक को पूरी शक्तियां देने को कहा है। उन्होंने घोटाले में फंसी पीएमसी बैंक से जमाकर्ताओं को अपनी राशि निकालने में हो रही कठिनाइयों

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड में निदेशक सतीश मराठे ने सरकार से सभी शहरी सहकारी बैंकों के नियमन को लेकर रिजर्व बैंक को पूरी शक्तियां देने को कहा है। उन्होंने घोटाले में फंसी पीएमसी बैंक से जमाकर्ताओं को अपनी राशि निकालने में हो रही कठिनाइयों के बीच यह बात कही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में मराठे ने कहा कि सहकारी बैंक क्षेत्र के लिये एक दृष्टकोण दस्तावेज और रूपरेखा तैयार करने के लिये व्यापक आधार वाली समिति बननी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि समिति में रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और कम-से-कम दो लोग प्रख्यात सहकारी संस्थानों से होने चाहिए। उन्होंने हाल में वित्त मंत्री से मुलाकात के दौरान इन मुद्दों को उठाया। मंत्री को लिखे अपने पत्र में मराठे ने कहा, ‘‘सभी शहरी सहकारी बैंकों के नियमन को लेकर आरबीआई को पूर्ण नियामकीय शक्तियां देने के लिये बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन किये जाएं...।'' उन्होंने कहा कि केवल बहु-राज्य सहकारी समिति कानून में संशोधन करना पर्याप्त नहीं होगा।

सीतारमण ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि सरकार सहकारी बैंकों के प्रभावी नियमन को लेकर कानून लाएगी ताकि वे भी उन नियमों का पालन करें जो वाणिज्यक बैंकों के लिये है। मराठे ने यह भी कहा कि सरकार को सभी श्रेणी के जमाकर्ताओं तथा सहकारी बैंक क्षेत्र में कठिनाइयों को दूर करने के लिये अलग हटकर समाधान तलाशना चाहएि। उन्होंने कहा कि पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉअपरेटिव बैंक (पीएमसी) में धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद उस पर संज्ञान लिया गया।

आरबीआई, वित्त मंत्रालय और महाराष्ट्र पुलिस का आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिये तुंरत कदम उठाये। देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में शामिल पीएमसी ने 6,500 करोड़ रुपये का कर्ज एचडीआईएल को दिया जो उसके कुल कर्ज का 73 प्रतिशत है। कंपनी के दिवालिया होने के कारण कर्ज बाद में एनपीए (फंसा कर्ज) बन गया। पीएमसी फिलहाल आरबीआई द्वारा नियुक्त प्रशासक के अधीन है। इसका कारण फंसे कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देना है। इस घोटाले से लाखों ग्राहक प्रभावित हुए। ग्राहकों को आरबीआई की पाबंदियों के कारण अपनी पूरी राशि निकालने में कठिनाई हो रही है।

 

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