RBI के डिप्टी गवर्नर का बयान, सरकारी विभाग नहीं है रिजर्व बैंक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Oct, 2018 02:11 PM

rbi does not ignore autonomy not government department

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने शुक्रवार को केंद्रीय बैंक की आजादी और कम अधिकारों को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। आचार्य ने कहा कि आरबीआई किसी भी तरह से सरकारी विभाग नहीं है...

नई दिल्लीः  भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने शुक्रवार को केंद्रीय बैंक की आजादी और कम अधिकारों को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। आचार्य ने कहा कि आरबीआई किसी भी तरह से सरकारी विभाग नहीं है और सरकार को इसे अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ज्यादा स्वायत्तता देने की जरूरत है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को नजरअंदाज करना विनाशकारी हो सकता है। आरबीआई की नीतियां नियमों पर आधारित होनी चाहिए। उनके भाषण को आरबीआई की वेबसाइट पर भी पोस्ट किया गया है।

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सरकार के दखल से पड़ता है असर
विरल ने कहा कि सरकार के केंद्रीय बैंक के कामकाज में ज्यादा दखल देने से उसकी स्वायत्तता प्रभावित हो रही है। केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार से थोड़ी दूरी बनाकर रखना चाहता है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। सरकार की तरफ से बैंक के कामकाज में सीधा हस्तक्षेप किया जा रहा है, जो घातक हो सकता है। 

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बाजार हो सकता है नाराज
अगर सरकार केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेगी, तो उसे जल्दी ही या बाद में आर्थिक बाजारों की नाराजगी का शिकार होना पड़ेगा। सरकारें केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेंगी तो उन्हें बाजारों से निराशा ही हाथ लगेगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार को पछतावा होगा कि एक महत्वपूर्ण संस्था को कमतर आंका गया। आरबीआई का काम सरकार को अप्रिय, लेकिन क्रूर ईमानदार सच्चाई बताने का है और वो सरकार का एक ऐसा मित्र है, जो अर्थव्यवस्था के बारे में सचेत करता रहता है। 

लोन माफ करना खतरनाक
विरल ने कहा कि सरकारों की तरफ से लोन को माफ करना काफी खतरनाक है। इससे बैंकों को लंबे समय में काफी नुकसान होगा। अगर सरकारें लोन माफ करती रहीं तो फिर बैंकों के लिए ऐसी हालत में काम करना मुश्किल हो जाएगा। 

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नवंबर में 40,000 करोड़ बाजार में लाएगा RBI
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि त्योहारों के फंड की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से नवंबर में 40,000 करोड़ रुपए बाजार में लाएगा। इसके लिए वह सरकारी प्रतिभूतियों की खरीददारी करेगा। ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (ओएमओ) के माध्यम से अक्टूबर महीने के लिए केंद्रीय बैंक ने पहले ही 36,000 करोड़ रुपए सिस्टम में डाल दिए है। केंद्रीय बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा कि स्थायी तरलता के एक आकलन के आधार पर आरबीआई ने नवंबर 2018 के लिए 400 अरब रुपए की राशि जुटाने के लिए ओएमओ के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद का निर्णय लिया है।
 

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