पेमेंट बैंक ढांचे की समीक्षा करेगा RBI: गवर्नेंस स्टैंडर्ड, बिजनेस मॉडल और आगे की राह पर रहेगा जोर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Mar, 2024 12:37 PM

rbi to review payment bank structure emphasis will be on governance standards

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पेमेंट बैंकों के ढांचे के हर पहलू का जायजा ले सकता है। देश में पेमेंट बैंकों को लाइसेंस 27 नवंबर 2014 को जारी किए गए थे, जिसके करीब एक दशक बाद उनकी व्यापक समीक्षा की जा रही है। इसमें प्रशासन के पैमानों के साथ कारोबारी...

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पेमेंट बैंकों के ढांचे के हर पहलू का जायजा ले सकता है। देश में पेमेंट बैंकों को लाइसेंस 27 नवंबर 2014 को जारी किए गए थे, जिसके करीब एक दशक बाद उनकी व्यापक समीक्षा की जा रही है। इसमें प्रशासन के पैमानों के साथ कारोबारी मॉडल की व्यावहारिकता पर गौर किया जाएगा और यह भी देखा जाएगा कि किस तरह के बदलावों की जरूरत है।

इसका सीधा असर उन पेमेंट बैंकों पर पड़ सकता है, जो लघु वित्त बैंक (एसएफबी) बनना चाहते हैं क्योंकि एसएफबी के नियामकीय पूंजी ढांचे की व्यापक समीक्षा करने पर भी विचार चल रहा है। इसका जिक्र भारत में बैंकिंग के रुझान और प्रगति (2022-23) रिपोर्ट में भी किया गया है। पेमेंट बैंक अपनी स्थापना के करीब एक दशक बाद वित्त वर्ष 2023 में मुनाफे में आए। पिछले वित्त वर्ष में ब्याज से उनकी आय ब्याज पर होने वाले खर्च से ज्यादा हो गई। साथ ही संपत्तियों पर रिटर्न और इक्विटी पर रिटर्न भी सकारात्मक हो गया। लगातार तीन साल तक घटने वाला शुद्ध ब्याज मार्जिन भी 2022-23 में बढ़कर 3.7 फीसदी हो गया, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 2.3 फीसदी ही था।

पेमेंट बैंकों को अभी दिन के अंत में खाते में 2 लाख रुपए तक ही शेष रखने की इजाजत है, जिसे बढ़ाने की दरख्वास्त वे कई साल से आरबीआई से कर रहे हैं। शुरुआत में यह सीमा 1 लाख रुपये ही थी, जिसे 7 अप्रैल, 2021 को बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया। इससे भी ज्यादा अहम मांग कर्ज देने के बारे में है। वे माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र को उधार देने की इजाजत मांग रहे हैं और कर्ज की उचित सीमा तय किए जाने पर उन्हें कोई एतराज नहीं होगा। उनका कहना है कि इससे आय का एक नया रास्ता उनके लिए खुलेगा। यह मांग मान ली गई तो लाइसेंसिंग ढांचे में बहुत बड़ा बदलाव होगा क्योंकि अभी तक पेमेंट बैंकों को अपनी रकम केवल सरकारी बॉन्डों में लगाने की अनुमति है।

पेमेंट बैंक पांच साल तक काम करने के बाद लघु वित्त बैंक का लाइसेंस मांग सकते हैं। मगर आज तक केवल फिनो पेमेंट्स बैंक्स ने ही इसके लिए अर्जी डाली है लेकिन एयरटेल पेमेंट्स बैंक और जियो पेमेंट्स बैंक भी लघु वित्त बैंक की होड़ में कूद पड़े तो मामला दिलचस्प हो जाएगा। तब पता चलेगा कि कंपनियों को बैंकिंग में (पेमेंट बैंक से बदलकर लघु वित्त बैंक बनकर ही सही) आने देने पर रिजर्व बैंक का क्या रुख है। फिलहाल कंपनियों को सीधे लघु वित्त बैंक के लिए आवेदन करने की इजाजत नहीं है। लघु वित्त बैंक के लिए लाइसेंस पेमेंट बैंक के बाद दिए गए थे।

2014 में पेमेंट बैंक लाइसेंस के लिए करीब 40 अर्जी आई थीं, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज (भारतीय स्टेट बैंक के साथ), आदित्य बिड़ला समूह (आइडिया), भारती एयरटेल और वोडाफोन के अलावा ऑक्सीजन जैसे बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट भी शामिल थे। उस समय रिटेल समूह फ्यूचर ग्रुप भी इस होड़ में था। अगर लघु फाइनैंस बैंक के लाइसेंस में दिलचस्पी रखने वाले करीब 70 उम्मीदवारों को भी शामिल कर लिया जाए तो बुनियादी बैंकिंग को काफी आकर्षक माना जा रहा है।

पेमेंट बैंक केवल भारत में मिलते हैं। हालांकि ब्राजील में भी पेमेंट्स इंस्टीट्यूशन नाम से कानूनी संस्था बनाई गई है, जो वहां के केंद्रीय बैंक के अधीन होती है। दक्षिण अफ्रीका के रिजर्व बैंक ने 2007 में कहा था कि बैंकों से इतर भुगतान सेवा प्रदान करने वाले भुगतान व्यवस्था में अहम भूमिका निभा सकते हैं। केन्या में एम-पेसा सफल पेमेंट बैंक है और वित्तीय समावेशन में मदद कर रहा है।
 

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