आम आदमी की उम्मीदों को RBI ने दिया झटका, रेपो दरों में नहीं किया बदलाव

Edited By vasudha,Updated: 06 Feb, 2020 12:35 PM

rbi unlikely to cut rates amid rising inflation

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की 4 से 6 फरवरी तक चली समीक्षा बैठक के बाद आज ब्याज दरों पर फैसला आएगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार को शुरू हुई। यह ऐसे...

बिजनेस डेस्क: रिवर्ज बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने महंगाई बढ़ने की आशंका जताते हुये वीरवार को नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिय। इससे घर, कार और व्यक्तिगत ऋण पर ब्याज दरों में तत्काल कमी आने की उम्मीद समाप्त होने से लोगों को निराशा हाथ लगी है। समिति की चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की छठी द्विमासिक समीक्षा की तीन दिवसीय बैठक के बाद आज जारी निर्णय के अनुसार नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है जबकि चालू वित्त वर्ष की चाथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। 

 

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इसके साथ समिति ने अगले वित्त वर्ष के पहले के विकास अनुमान 5.9 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत को कम कर 6.0 प्रतिशत कर दिया है और कहा है कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के यह 5.5 प्रतिशत से 6.0 प्रतिशत के बीच रह सकता है। समिति ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत विकास दर रहने की संभावना जतायी है। रिजर्व बैंक ने लगातार पांच बार में रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती किया था। पांचवी और छठवीं बैठक में इसमें कोई कमी नहीं की गयी है और दरों को यथावत रखा गया है। समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है।

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समिति ने रेपो दर को 5.15 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 4.90 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 5.40 प्रतिशत, बैंक दर 5.40 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.0 प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 18.50 प्रतिशत पर यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है। रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। 

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वर्ष 2020-21 के आम बजट पेश किये जाने के बाद समिति इस पहली बैठक में नीतिगत दरों में कम से कम एक चौथाई प्रतिशत की उम्मीद की जा रही थी लेकिन समिति ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में खुदरा महंगाई के बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंचने की आशंका जताते हुये ब्याज दरों में कमी नहीं करने का निर्णय लिया। उसने कहा कि अगले वित्त वर्ष में यदि दक्षिण पश्चिम मानसून समान्य रहता है तो वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में यह 5.4प्रतिशत से 5.0 प्रतिशत के बीच रह सकती है जबकि तीसरी तिमाही में यह गिरकर 3.2 प्रतिशत पर आ सकती है।

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