Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Sep, 2018 05:46 PM
बैंकों में पैसा रखना आम लोग बहुत सुरक्षित मानते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो को-ऑपरेटिव सोसायटी को बैंक बता कर आम लोगों से डीलिंग करते हैं। ऐसे लोगों और संस्थानों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) पहले भी चेतावनी दे चुका है।
नई दिल्लीः बैंकों में पैसा रखना आम लोग बहुत सुरक्षित मानते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो को-ऑपरेटिव सोसायटी को बैंक बता कर आम लोगों से डीलिंग करते हैं। ऐसे लोगों और संस्थानों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) पहले भी चेतावनी दे चुका है। RBI का कहना है कि को-ऑपरेटिव सोसायटी को बैंक बताने वाले संस्थानों में पैसा लागना घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
RBI ने लोगों को चेताया
आर.बी.आई. ने 29 नवंबर, 2017 को एक सर्कुलर जारी किया था। सर्कुलर के मुताबिक कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटी खुद के नाम के साथ 'बैंक' शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं, जो कि सरासर कानून का उल्लंघन है। आर.बी.आई. द्वारा जारी किए गए इस सर्कुलर में आम आदमी को हिदायत देते हुए चेताया गया है कि वह ऐसी किसी भी को-ऑपरेटिव सोसायटी से बैंक के तौर पर लेन-देन करने से बचे क्योंकि अगर आप ने किया तो आपको घाटा हो सकता है।
आर.बी.आई. ने कहा कि कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटी इस एवज में गैर-सदस्यों, नोमिनल मेंबर्स और एसोसिएट मेंबर्स से पैसे जमा करवा रहे हैं। इनकी तरफ से किया जा रहा ये कारोबार पूरी तरह से बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट के खिलाफ है। केंद्रीय बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा, ''आर.बी.आई. के संज्ञान में आया है कि कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटी अपने नाम के साथ 'बैंक' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह 'बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 का उल्लंघन है।''
ये होगा नुकसान
उसके मुताबिक इन सोसायटीज में अगर बैंक समझ कर पैसा लगाते हैं, तो आपको बैंक डिपोजिट पर मिलने वाले इंश्योरेंस का फायदा नहीं मिलेगा। दरअसल डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की तरफ से 1 लाख रुपए तक की रकम को इंश्योर किया जाता है।