रिटेल लोन को लेकर RBI ने बैंकों को दी चेतावनी, कहा- सिस्टम के लिए बन सकते हैं रिस्क

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Dec, 2022 03:42 PM

rbi warns banks regarding retail loans says it can pose a risk to the

निजी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चेतावनी देने के बाद अब रिजर्व बैंक ने रिटेल लोन को लेकर बैंकों को चेताया है। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैकों के द्वारा रिटेल लोन बांटने पर बढ़ता जोर पूरे सिस्टम के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। रिटेल...

नई दिल्लीः निजी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चेतावनी देने के बाद अब रिजर्व बैंक ने रिटेल लोन को लेकर बैंकों को चेताया है। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैकों के द्वारा रिटेल लोन बांटने पर बढ़ता जोर पूरे सिस्टम के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। रिटेल लोन आमतौर पर छोटे लोन होते हैं और इसमें अनसिक्योर्ड लोन का बड़ा हिस्सा होता है। इस तरह के लोन में हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन आदि आते हैं। आम तौर पर बैंक के द्वारा बांटे जाने वाले लोन में इनका हिस्सा मूल्य के आधार पर कम ही रहता है। हालांकि रिटेल लोन पर बेहतर कमाई की वजह से कई बैंक अब ज्यादा से ज्यादा रिटेल लोन बांट रहे हैं। रिजर्व बैंक ने इसी ट्रेंड पर चिंता जताई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंकों के लिए लंबे समय से फायदेमंद माने जाते रहे रिटेल लोन पूरी प्रणाली के लिए ही जोखिम से भरपूर हो सकते हैं। हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि पूरी प्रणाली के लिए यदि कोई जोखिम उत्पन्न होता भी है तो वह अपनी नीतियों के जरिए उससे निपटने में पूरी तरह सक्षम है। आरबीआई ने 2021-22 के लिए ‘भारत में बैंकिंग रुझान और प्रगति’ के बारे में कहा, अनुभव के आधार पर मिले साक्ष्य बताते हैं कि बड़ी संख्या में रिटेल लोन व्यक्ति विशेष या समूह विशेष को दिए जाते हैं तो इससे पूरी व्यवस्था के लिए जोखिम पैदा होता है। रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के वर्षों में भारतीय बैंक एक-एक करके कॉर्पोरेट से रिटेल लोन की ओर रुख कर रहे हैं और यह रुझान बैंकों के सभी समूहों में नजर आ रहा है चाहे वे बैंक राज्य के स्वामित्व वाले हों, निजी हों या फिर विदेशी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पूरी प्रणाली के लिए जोखिम बढ़ता है।

वहीं रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि भले ही एनपीए का आकार घट रहा है लेकिन बदलते हालात बैंकों की सेहत पर असर डाल सकते हैं। रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में बैंकों का जीएनपीए 5.8 प्रतिशत पर रहा था। इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्जों को बट्टा खाते में डालना जीएनपीए में आई गिरावट की बड़ी वजह रही जबकि निजी बैंकों के मामले में कर्जों को अपग्रेड करने से हालात बेहतर हुए। बैंकों के जीएनपीए में पिछले कुछ वर्षों से लगातार आ रही गिरावट के लिए कर्ज चूक के मामलों में आई कमी और बकाया कर्जों की वसूली और उन्हें बट्टा खाते में डालने जैसे कदमों को श्रेय दिया गया है।
 

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