कानून के शिंकजे में घिरता रियल एस्टेट

Edited By ,Updated: 14 Jan, 2017 01:18 PM

real estate  fraud

सरकार दिन-प्रतिदिन रियल एस्टेट कानूनों को सख्त कर रही है। इसके पीछे सरकार का तर्क है बेनामी संपत्ति पर लगाम लगाना तथा जिन लोगों का घर खरीदने का सपना है वे जल्द पूरा करना।

जालंधरः सरकार दिन-प्रतिदिन रियल एस्टेट कानूनों को सख्त कर रही है। इसके पीछे सरकार का तर्क है बेनामी संपत्ति पर लगाम लगाना तथा जिन लोगों का घर खरीदने का सपना है वे जल्द पूरा करना। मकान खरीदने वाले के साथ किसी भी तरह का फ्रॉड न हो इसके लिए कानून में बदलाव किए गए हैं जो जल्द 1 फरवरी 2017 के  बाद आपको मिलेंगे। इससे जहां बायर को फायदा होगा वहीं रियल एस्टेट डिवैल्परों की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी। हालांकि एक्ट में किए गए बदलाव पर क्रेड्राई कोर्ट जाने पर विचार कर रही है और सरकार से भी मांग कर रही है कि देश को जी.डी.पी. में सालाना 11 प्रतिशत की ग्रोथ देने वाला सैक्टर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। सरकार ने 2 नए कानून बनाए हं जिनके तहत अब बिल्डर या डिवैल्पर्स प्री-लांच नहीं कर पाएंगे,वहीं पावर आफ अटॉर्नी भी मान्य नहीं होगी।

ये भी बनें सख्त नियम
* कानून में होगा संशोधन, पावर ऑफ अटॉर्नी वाली प्रॉपर्टी नहीं मानी जाएगी बेनामी
* पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए हासिल की गई प्रॉपर्टी बेनामी न करार दी जाए इसके लिए सरकार जल्द ही एक बिल में संशोधन का प्रस्ताव ला रही है। इस संशोधन से रियल एस्टेट के मामले में बहुत लोगों को राहत मिलेगी। रियल एस्टेट एक्सपर्ट संजय सूरी ने बताया कि सरकार बेनामी ट्रांजेक्शंस (प्रोहिबिशन अमैंडमैंट) बिल, 2015 में बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार कर चुकी है। जिसके तहत सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वैध खरीदारों को परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके लिए सरकार ने अपने रियल एस्टेट एक्ट बिल में बदलाव कर दिया है।
* उनके मुताबिक नए एक्ट में पावर ऑफ अटॉर्नी को इससे बाहर रखने की योजना है ताकि एक बड़ी परेशानी खत्म हो सके। देश के कुछ हिस्सों में प्रॉपटी की खरीद-फरोख्त में यह एक लोकप्रिय चीज है। 
* ड्राफ्ट लॉ का मकसद कथित बेनामी ट्रांजैक्शंस को निशाने पर लेना है, जिनका इस्तेमाल असल मालिकाना हक को छिपाने में किया जाता है। इससे ब्लैक मनी को बढ़ावा मिलता है। वहीं दूसरे अधिकारी ने बताया कि सरकार ऐसी शर्तें जोडऩे की योजना बना रही है जिनसे नियमों में ढील का दुरुपयोग न हो सके। ऐसी शर्तों में पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन कराना और पावर ऑफ अटॉर्नी देने वाले को मिलने वाली रकम की रसीद दिखाना जरूरी करने जैसी बातें शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर बदलावों को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इस बिल में बेनामी प्रॉपर्टी की जब्ती और कुर्की, जुर्माना लगाने और सात साल तक के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। बिल में प्रस्तावित किया गया है कि पत्नी और बच्चों के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति के नाम पर हासिल की गई प्रॉपर्टी को बेनामी माना जाएगा और ऐसे मामले में कानून के कड़े प्रावधान लागू होंगे।

निवेशक और फ्लैट की चाह रखने वालों को होगी आसानी
सरकार के दावों के मुताबिक इससे जहां डिवैल्परों को आंशिक नुक्सान होगा, लेकिन वहीं निवेशक सहित फ्लैट की चाह रखने वाले को बेहद फायदा होगा क्योंकि अमूमन ऐसा पाया गया है कि अधिकांश बिल्डर प्री-लांच के नाम पर करोड़ों रुपए ऐंठ लेते थे। यही नहीं अधिकांश  लोग अच्छे एडवर्टाइजिंग और सोशल मीडिया के जरिए उनके झांसे में आ जाते थे लेकिन प्री-लांच पर पूरी तरह से पाबंदी लग गई है। 1 फरवरी से यह नियम  लागू भी कर दिया जाएगा। इस संबंध में महागुन के सी.एफ.ओ. टी.के.पुरी ने बताया कि रियल एस्टेट में सुस्ती और लटकने वाले प्रोजैक्ट की संख्या बढऩे से पिछले एक साल में तैयार प्रॉपर्टी की बिक्री में तेज इजाफा हुआ है। नए कानून आने से माना जा रहा है कि कस्टमर के समक्ष प्रोजैक्ट लटकने के कारण जो अनिश्चितता की तलवार लटक जाती है, उससे मुक्ति मिलेगी। कई बिल्डर्स ने कहा भी है कि अब वे पूरी तरह से तैयार करने के बाद ही किसी प्रोजैक्ट को बेचेंगे।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
क्रेडाई के  वैस्टर्न यू.पी. के अध्यक्ष दीपक कपूर ने कहा कि यह फैसला हमें एक बार तोडऩे और मायूस करने वाला है क्योंकि प्री-लांच करें या हम प्रोजैक्ट के बाद फ्लैट को बेचें दोनों ही सूरत में हमें और कस्टमर को फायदा होता है। हमें जहां पैसा पहले मिल जाता है वहीं कस्टमर को प्री-लांच में मिलने वाला फ्लैट अमूमन पहले से सस्ता मिल जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। इसके अलावा निवेशक भी हाथ खींच लेंगे क्योंकि ऐसा होने से हमारे निवेशक हमारे साथ प्रारंभिक चरण में नहीं जुड़ेंगे। इनमें कई बैंक भी शमिल होते हैं जो पहले हमें लोन नहीं देंगे। ऐसे में किसी भी प्रोजैक्ट को शुरू करने से पहले हमें खुद पैसा जुटाना पड़ेगा। एक्सपर्ट राहुल पुरी ने कहा कि वैसे ही रियल एस्टेट की हालत काफी पतली है । 70 फीसदी मार्कीट पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। कमर्शियल प्रोजैक्ट 90 फीसदी बंदी के कगार पर है और ऐसे में ऐसा नियम लाना रियल एस्टेट की कमर को तोडऩा है। फिर भी नए बने एक्ट के तहत रियल एस्टेट को काम करना पड़ेगा। उनके मुताबिक इस कानून के आने से 2017 में लांच होने वाले सभी प्रोजैक्टों पर असर दिखेगा। 

एक आंकड़ा
* वर्ष 2017 में  नोएडा और ग्रेनों में &2 नए प्रोजैक्ट लांच किए जाने हैं।
* यमुना एक्सप्रैस पर भी मार्च माह में 12 प्रोजैक्टों की प्री-लांचिंग है जिसे फिलहाल रोक  दिया गया है।
* इस एक्ट के बनने से गुडग़ांव,गाजियाबाद,नोएडा और दिल्ली में करीब 60 से अधिक डिवैल्परों के आने वाले प्रोजैक्टों पर गहरा असर होगा।

पहले प्रोजैक्ट बनाना या प्रारंभिक चरण को पूरा करना जरूरी
नए नियम के तहत पहले आपको प्रापर्टी लेनी होगी और उसके बाद उस पर आने वाल कास्ट सहित पूरा मैप तैयार करना होगा। शर्तों के मुताबिक इसके लिए आपको यह बात पर भी विशेष ध्यान रखना होगा कि जब तक कोईबिल्डर प्रारंभिक काम  शुरू नहीं कर सकता तब तक वह किसी भी फ्लैट को बुक नहीं कर सकता। बनने वाले नए एक्ट के तहत किसी भी प्रोजैक्ट की बिक्री तब सभी जरूरी स्वीकृतियां लेने के बाद ही हो पाएगी, जो अमूमन एक लंबी प्रक्रिया होती है। नए कानून को विभिन्न राज्यों द्वारा अधिसूचित किया जा रहा है। इसके अस्तित्व में आने से रियल्टी कंपनियां कस्टमर को फ्लैट बेचने से पहले प्रोजैक्ट को या तो पूरा करने या कम से कम प्रोजैक्ट के एक हिस्से को पूरा करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।

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