Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Feb, 2019 12:18 PM
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की अपने 90 फीसदी से अधिक कर्जदाताओं के साथ सहमति बन गई है। इसके तहत कर्जदाता इस वर्ष सितंबर तक प्रमोटर्स द्वारा गिरवी रखे शेयरों की बिक्री नहीं करेंगे।
मुंबईः अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की अपने 90 फीसदी से अधिक कर्जदाताओं के साथ सहमति बन गई है। इसके तहत कर्जदाता इस वर्ष सितंबर तक प्रमोटर्स द्वारा गिरवी रखे शेयरों की बिक्री नहीं करेंगे। कर्जदाता संस्थानों और रिलायंस ग्रुप के अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते के तहत समूह पूर्व निर्धारित समय सारणी के मुताबिक ही कर्जदाताओं को मूल धन और ब्याज का भुगतान करेगा। इसके साथ ही रिलायंस ग्रुप ने निवेश बैंकरों की भी नियुक्ति की है, जो रिलायंस पावर में ग्रुप की 30 फीसदी सीधी हिस्सेदारी का कुछ अंश संस्थागत निवेशकों को बेचने में मदद करेंगे।
अधिकारियों ने कहा कि शेयर बेचने के लिए निवेश बैंकर जल्द ही रोड शो शुरू करने वाले हैं। रिलायंस ग्रुप के कुछ प्रमुख कर्जदाताओं में टेंपल्टन एमएफ, डीएचएफएल प्रामेरिका एमएफ, इंडियाबुल्स एमएफ, इंडसइंड बैंक और यस बैंक शामिल हैं। रिलायंस ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम अपने कर्जदाताओं के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमारी कंपनियों के अंतर्निहित और बुनियादी मूल्यों पर भरोसा किया और स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट्स को सैद्धांतिक मंजूरी दी।
अधिकारियों ने कहा कि प्रमोटर ग्रुप स्तर पर रिलायंस ग्रुप के 90 फीसदी से अधिक कर्जदाताओं से सहमति बन गई है। इस सैद्धांतिक सहमति के तहत हाल में शेयरों में दर्ज की गई अप्रत्याशित गिरावट की वजह से कॉलेटरल और मार्जिन घटने को कारण बनाते हुए कर्जदाता 30 सितंबर 2019 तक न तो सिक्योरिटी की मांग करेंगे और न ही प्रमोटर्स के गिरवी रखे शेयरों की बिक्री करेंगे।
अधिकारियों ने कहा कि प्रमोटर स्तर पर कुल नौ कर्जदाताओं का बकाया है और म्यूचुअल फंड्स को समूह की कुल देनदारी करीब 1,000 करोड़ रुपए है। इनमें से डीएचएफएल प्रामेरिका एमएफ और इंडियाबुल्स एमएफ का समूह में कुल एक्सपोजर 100 करोड़ रुपए से कम है और उन्हें 31 मार्च 2019 से पहले पूरा भुगतान कर दिया जाएगा।