अमेरिकी सेब पर 20% सीमा शुल्क हटाने से किसानों पर नहीं होगा असर: अधिकारी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jun, 2023 04:46 PM

removal of 20 customs duty on us apples will not affect farmers

अमेरिकी सेब पर 20 प्रतिशत प्रतिशोधात्मक सीमा शुल्क हटाने के फैसले से भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने बताया कि अगर इसका कोई असर होता भी है, तो सरकार के पास उत्पादकों को समर्थन देने...

नई दिल्लीः अमेरिकी सेब पर 20 प्रतिशत प्रतिशोधात्मक सीमा शुल्क हटाने के फैसले से भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने बताया कि अगर इसका कोई असर होता भी है, तो सरकार के पास उत्पादकों को समर्थन देने के लिए पर्याप्त नीतिगत गुंजाइश है। 

वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा कि भारत इस शुल्क को हटाकर कुछ भी 'ज्यादा' नहीं दे रहा है और ऐसा नहीं है कि 'हमने अमेरिकी सेबों के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह खोल दिए हैं।'' उन्होंने कहा कि वास्तव में यह भारत के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इसके बदले अमेरिकी बाजार में घरेलू इस्पात और एल्यूमिनियम उत्पादों को बाजार पहुंच मिलेगी। इन उत्पादों का निर्यात 2018 में अमेरिका के उच्च शुल्क लगाने से प्रभावित हुआ था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के छह विवादों को खत्म करने और अमेरिका के उत्पादों पर प्रतिशोध स्वरूप लगाए गए शुल्कों को हटाने पर सहमत हुए थे। ये बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ''चाहते हैं कि एप्पल भारत में निवेश करे लेकिन क्या उन्हें हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों की भी परवाह है? उन्होंने अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क में कटौती करके हिमाचल में अपनी चुनावी हार का बदला ले लिया है। भारत ने इससे पहले कभी भी इतना तंगदिल प्रधानमंत्री नहीं देखा है!'' 

भारत चना, दाल और सेब सहित आठ अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक आयात शुल्क को खत्म करेगा। कुमार ने कहा, ''शुल्क हटाने से भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा'' क्योंकि सेब पर आयात शुल्क अभी भी 50 प्रतिशत है। अमेरिका से सेब का आयात 2018-19 में 14.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर (127,908 टन) से घटकर 2022-23 में केवल 52.7 लाख अमेरिकी डॉलर (4,486 टन) रह गया था। इससे पता चलता है कि अमेरिकी सेब पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने के कारण उनकी बाजार हिस्सेदारी घट गई। 
 

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