Edited By rajesh kumar,Updated: 01 Nov, 2020 08:18 PM
भारतीय रिजर्व बैंक अपने मल्टी मीडिया जन-जागरूकता अभियान ‘आरबीआई कहता है’ के प्रभाव का आकलन करने जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने यह अभियान 14 भाषाओं में शुरू किया था। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित बैंकिंग और और वित्तीय व्यवहार के प्रति जागरूक...
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक अपने मल्टी मीडिया जन-जागरूकता अभियान ‘आरबीआई कहता है’ के प्रभाव का आकलन करने जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने यह अभियान 14 भाषाओं में शुरू किया था। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित बैंकिंग और और वित्तीय व्यवहार के प्रति जागरूक करना है।
रिजर्व बैंक ने ‘आरबीआई कहता है’ अभियान सभी मीडिया मंचों पर शुरू किया है। इसमें टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, होर्डिंग्स, वेब बैनर, सोशल मीडिया और एसएमएस शामिल हैं। इन अभियान के प्रभाव का आकलन करने के लिए रिजर्व बैंक ने पात्र कंपनियों और अन्य इकाइयों से रुचि पत्र (ईओआई) मांगे हैं। इन कंपनियों के पास इसी तरह की कम से कम पांच परियोजनाओं को पूरा करने का अनुभव होना चाहिए।
साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक
रिजर्व बैंक ने आम लोगों को बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के अच्छे व्यवहार, नियमन और पहल के बारे में जागरूक करने को यह मल्टी-मीडिया अभियान शुरू किया था। इस अभियान के तहत ग्राहकों को बचत बैंक जमा खाते, अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहक की देनदारी, सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग व्यवहार, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंकिंग सुविधाएं, बैंकिंग लोकपाल योजना और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
ईओआई दस्तावेज के अनुसार चुनी गई कंपनी को जागरूकता अभियान के नतीजों के विश्लेषण के लिए तौर-तरीके का प्रस्ताव करने के अलावा अभियान के लिए इस्तेमाल किए गए मंचों के प्रभाव का भी गहराई से विश्लेषण करना होगा। दस्तावेज में कहा गया है कि आवेदन करने वाली कंपनियों, एनजीओ, स्वैच्छिक एजेंसियों तथा सार्वजनिक ट्रस्टों की पिछले तीन वित्त वर्षों 2017-18, 2018 19 और 2019-20 में ‘प्रभाव आकलन/सर्वे कारोबार’ से प्रत्येक वर्ष आय कम से कम दो करोड़ रुपये होनी चाहिए।