Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Apr, 2024 02:56 PM
पिछले 10 साल में रुपए की कीमत में 28.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। औसतन यह हर साल 3 प्रतिशत गिरा है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियम दर के प्रबंधन के ठीक रखने के तरीके (कैलिब्रेटेड अप्रोच) का पता चलता है।
नई दिल्लीः पिछले 10 साल में रुपए की कीमत में 28.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। औसतन यह हर साल 3 प्रतिशत गिरा है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियम दर के प्रबंधन के ठीक रखने के तरीके (कैलिब्रेटेड अप्रोच) का पता चलता है।
केंद्रीय बैंक ने हमेशा यह कहा है कि वह सिर्फ उतार चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए हस्तक्षेप करता है, न कि मुद्रा की गति पर लगाम लगाता है। वित्त वर्ष 2020 में कोविड 19 महामारी के दौरान रुपये की कीमत सबसे ज्यादा गिरी। वहीं वित्त वर्ष 2023 में भूराजनीतिक तनावों का असर रहा, जो रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हुए हमले के बाद पैदा हुआ है।
रिजर्व बैंक ने 2022 में विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप बढ़ा दिया, जिसकी वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट आई। वित्त वर्ष 2024 में स्थिति पूरी तरह से बदल गई, जब भारतीय रुपया विश्व की सबसे स्थिर मुद्राओं में से एक बन गया और इसमें सिर्फ 1.45 प्रतिशत गिरावट आई।
तेज आवक से भी केंद्रीय बैंक को अपना विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में मदद मिली और यह अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2024 में पिछले 10 साल के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में दूसरी सबसे बड़ी तेजी आई।