रिपोर्ट से हुआ खुलासा, आम्रपाली ने फ्लैट की कीमत का 30% तक एजेंटों को दे दिया

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Apr, 2019 02:10 PM

sc pissed on distributing forensic report of amrapali group to lawyers

उच्चतम न्यायालय ने विवादों में घिरी रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट को अदालत को सौंपने से पहले वकीलों में वितरित किए जाने पर मंगलवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फरेंसिक ऑडिटरों ने कोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है। ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आम्रपाली ग्रुप ने बायर्स से मिले फ्लैट की कीमत में से 30 प्रतिशत तक मार्केटिंग एजेंटों को चुकाया था। इसके अलावा, ग्रुप के प्रमोटरों और डायरेक्टरों ने होम-बायर्स से मिले पैसों को निजी हितों के लिए डायवर्ट किया। 

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कोर्ट में पेश किए गए विस्तृत रिपोर्ट में ऑडिटरों (पवन कुमार अग्रवाल और रवि भाटिया) ने बताया कि होम-बायर्स के 25 करोड़ से ज्यादा रुपयों को कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने एलआईसी, म्युचुअल फंड और शेयरों में निवेश किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा ने हाल के वर्षों में अपने तमाम परिजनों को करीब 11 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ही ऑडिटरों को नियुक्त कर आम्रपाली ग्रुप की 46 रजिस्टर्ड कंपनियों और अन्य मुखौटा कंपनियों के फरेंसिक ऑडिट का आदेश दिया था। 

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बहुत महत्वपूर्ण लोगों को होम-बायर्स के पैसे डायवर्ट
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच के सामने पेश हुए पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि कई अन्य 'बहुत महत्वपूर्ण लोगों' को भी होम-बायर्स के पैसे डायवर्ट किए गए। अग्रवाल ने कहा कि वह इन अन्य 'बहुत ही महत्वपूर्ण लोगों' की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं लेकिन ये लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में तो फ्लैट की कीमत का 30 प्रतिशत कमिशन के तौर पर एजेंटों को दिए हैं। अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि वह अन्य लोगों की जांच के बाद एक सप्लिमेंटरी रिपोर्ट पेश करेंगे। 

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फॉरेंसिक रिपोर्ट वकीलों में वितरित करने पर SC नाराज
आम्रपाली समूह की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट को अदालत को सौंपने से पहले वकीलों में वितरित किए जाने पर मंगलवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 30 अप्रैल से आम्रपाली की परियोजनाओं के आवास खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करेगी। अदालत इस मामले में देखेगी कि क्या घर खरीदारों को संपत्ति का मालिकाना हक दिया जा सकता है। 

100 से अधिक बनाई गई मुखौटा कंपनियां 
फारेंसिंक आडिटर पवन अग्रवाल और रवि भाटिया ने न्यायालय से कहा कि आडिट के दौरान उन्हें पता चलता है कि आम्रपाली समूह ने घर खरीदारों का 3,000 करोड़ रुपए से अधिक धन दूसरे कामों में लगाया है। घर खरीदारों के धन को इधर-उधर करने के लिए 100 से अधिक मुखौटा कंपनियां बनाई गई। पीठ ने कहा कि वह सार्वजनिक हित को नुकसान नहीं पहुंचने देगी और यह तय करना चाहेगी कि आम्रपाली समूह को इसके भुगतान के लिये किस प्रकार से जवाबदेह बनाया जाए। 
 

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