Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Apr, 2019 06:41 PM
देश में लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र में छतों पर सौर परियोजनाओं में तेजी लाने तथा 2022 तक इस क्षेत्र में 40,000 मेगावाट क्षमता सृजित करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सस्ता कर्ज, जागरूकता की कमी जैसे मसलों को दूर करने की जरूरत है।
नई दिल्लीः देश में लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र में छतों पर सौर परियोजनाओं में तेजी लाने तथा 2022 तक इस क्षेत्र में 40,000 मेगावाट क्षमता सृजित करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सस्ता कर्ज, जागरूकता की कमी जैसे मसलों को दूर करने की जरूरत है। वैश्विक परामर्श कंपनी डेलायट तथा क्लाइमेट इनवेस्टमेंट फंड (सीआईएफ) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
सरकार ने 2022 तक कुल 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता सृजित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं के जरिए 40,000 मेगावाट क्षमता सृजित करने का लक्ष्य है। ऐसा माना जा रहा है कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा। ‘स्केलिंग अप रूफटाप सोलर इन एसएमई सेक्टर इन इंडिया’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में उन मुद्दों को चिन्हित किया गया है जिसके कारण छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं में उतनी तेजी नहीं आ रही, जितनी आनी चाहिए। यह रिपोर्ट छह औद्योगिक संकुलों (रबड़ और प्लास्टिक, औषधि, वाहन, कागज, खाद्य एवं पेय पदार्थ तथा परिधान) क्षेत्रों में कार्यरत 150 इकाइयों के बीच किए गए सर्वे पर आधारित है।
डेलायट टच तोमात्सु इंडिया एलएलपी के भागीदार तुषार सूद ने एक बयान में कहा कि सर्वे में यह बात सामने आई कि एमएसएमई क्षेत्र छतों पर सौर परियोजनाएं लगाने को लेकर इच्छुक हैं लेकिन इसके प्रसार के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। सीआईएफ के ऊर्जा विशेषज्ञ अभिषेक भास्कर ने कहा कि वित्त तक सीमित पहुंच, जागरूकता की कमी तथा ऊर्जा का बढ़ता खर्च क्षेत्र के लाभ, प्रतिस्पर्धा और उसे टिकाऊ बनाने को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र में छतों पर सौर परियोजनाओं को लगाने में तेजी लाने तथा इसे व्यवहारिक बनाने के लिए अनुकूल नियमन के साथ सस्ता कर्ज तथा जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।’’