टैक्सटाइल्ज उद्योग की स्थिति छछूंदर जैसी, दीवाली से पहले निकला तेल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Oct, 2019 02:43 PM

status of textile industry is like mole oil before diwali

उत्तरी क्षेत्रीय प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास की आमद में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होने लगी है। इन राज्यों की मंडियों में इस हफ्ते कपास आमद 23000 गांठों की पहुंच गई थी लेकिन अचानक बारिश होने से यह आमद 500 से 1000 गांठ दो दिन ही कम रही...

जैतोः उत्तरी क्षेत्रीय प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों की मंडियों में कपास की आमद में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होने लगी है। इन राज्यों की मंडियों में इस हफ्ते कपास आमद 23000 गांठों की पहुंच गई थी लेकिन अचानक बारिश होने से यह आमद 500 से 1000 गांठ दो दिन ही कम रही है। 

सूत्रों के अनुसार इस हफ्ते कपास आमद कपास भाव पर निर्भर रहेगी क्योंकि कपास में नमी होने के कारण इसके दाम कम लग रहे हैं। उत्तरी क्षेत्रीय इन राज्यों की मंडियों में अब तक लगभग 2.98 लाख गांठ कपास पहुंचने की सूचना है। सबसे अधिक कपास आमद हरियाणा में 1.60 लाख गांठ पहुंची है जबकि पंजाब में 39500 गांठ, श्रीगंगानगर क्षेत्र 39200 गांठ व लोअर राजस्थान में 59300 गांठ कपास पहुंची है। उत्तरी जोन में इस बार कपास उत्पादन 71-72 लाख गांठ होने के कयास लगाए जा रहे हैं। भारतीय स्पिनिंग मिलों के पास यार्न के बड़े भंडार स्टॉक में लगने से भारतीय टैक्सटाइल्ज व स्पिनिंग उद्योग को इतिहास में पहली बार बड़ी आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है। 

सूत्रों की मानें तो देश में टैक्सटाइल्ज व स्पिनिंग उद्योग की कम से कम 30-40 प्रतिशत खपत बंद है। उद्योगों की स्थिति सांप छछूंदर जैसी बन गई है और दीवाली से पहले ही भारतीय टैक्सटाइल्ज उद्योग व समूह बड़ी-छोटी स्पिनिंग मिलों का तेल निकल चुका है। कपास के दाम 90-100 रुपए मन लुढ़क गए। दूसरी तरफ तेजी के बाजार में तेजडिय़ों के सपने तोड़ दिए क्योंकि पंजाब रूई 4070-4090 रुपए मन, हरियाणा 4060-4080 रुपए, श्रीगंगानगर 4060-4080 रुपए  व पिलानी-सूरजगढ़ 4120-4120 रुपए मन भाव सोमवार थे लेकिन यह भाव गोता खाते-खाते शनिवार को पंजाब 3880-3915 रुपए मन, 3900-3915 रुपए, श्रीगंगानगर 3870-3895 रुपए मन व पिलानी-सूरजगढ़ 3990-3995 रुपए मन भाव बोले गए लेकिन इन भावों में अधिकतर मिलों की मांग कम रही। 

संकट जारी रहा तो मिलों का लम्बी देरी तक चलना मुश्किल
भारतीय कताई मिलों का कारोबार अच्छा मुनाफा कूट रहा था लेकिन नए वित्त वर्ष अप्रैल 2019 के बाद अचानक मिलों पर आर्थिक संकट का पहाड़ आ गिरा जो अभी तक मिलों को घेरे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार मिलों पर यदि यह आर्थिक संकट जारी रहा तो भारतीय कताई मिलों का लम्बी देरी तक चलना मुश्किल है। देश में लाखों लोगों को रोजगार देने वाले भारतीय टैक्सटाइल्ज व कताई उद्योग को खुद बेरोजगारी की लाइन नजर आने लगी है।

सी.सी.आई. के सीधी कपास खरीद का विरोध
केन्द्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय के उपक्रम भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सी.सी.आई.) द्वारा किसानों से सीधी कपास खरीदने का विरोध शुरू हो गया है। फैडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन ऑफ पंजाब ने सी.सी.आई. के उपरोक्त फैसले का जोरदार विरोध करते हुए केन्द्र सरकार के इस फैसले को आढ़तियों को बड़ी आर्थिक रूप से बर्बाद करने की चाल बताया है। 

सरकार किसानों को दे बोनस 
केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह किसानों को कपास पर सीधा बोनस दे ताकि मिलों को कपास सस्ते दामों पर मिल सके। देश में कपास का एम.एस.पी. अधिक होने से भारत से कपास निर्यात नहीं हो रही है क्योंकि भारत की रूई दूसरे देशों से महंगी है। रूई निर्यात होगी तो कपास (नरमे) के भाव भी तेज होंगे। सरकार को किसानों व टैक्सटाइल्ज उद्योग के हितों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज तुरन्त जारी करना चाहिए ताकि किसानों को कपास का भाव बढिय़ा मिल सके और उद्योग प्रफुल्लित हो सके।
 

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