बढ़ेगी भारतीय इस्पात कम्पनियों की आय: मूडीज

Edited By ,Updated: 17 Aug, 2016 05:06 PM

steel moody

बढ़ती घरेलू मांग, न्यूनतम आयात मूल्य और एंटी डंपिंग ड्यूटी के कारण अगले 12 महीने में भारतीय इस्पात कम्पनियों के लाभ अर्जित करने की क्षमता बढऩे से इनकी आय में बढ़ौतरी होने की उम्मीद है।

हांगकांगः बढ़ती घरेलू मांग, न्यूनतम आयात मूल्य और एंटी डंपिंग ड्यूटी के कारण अगले 12 महीने में भारतीय इस्पात कम्पनियों के लाभ अर्जित करने की क्षमता बढऩे से इनकी आय में बढ़ौतरी होने की उम्मीद है। साख निर्धारक एजैंसी मूडीज इंवेस्टर सर्विस ने आज कहा कि चीन की मांग में लगातार जारी गिरावट और वैश्विक स्तर पर कारोबार की राह में बढ़ती अड़चनों के कारण एशियाई इस्पात बनाने वाली कम्पनियों का मुनाफा घटने से इनके राजस्व में कमी आएगी, वहीं मांग बढऩे के साथ ही सरकार द्वारा न्यूनतम आयात मूल्य और एंटी डंपिंग ड्यूटी लागू करने जैसे किए गए प्रयासों की बदौलत भारतीय इस्पात कम्पनियों के आय में बढ़ौतरी होने का अनुमान है। 

 

मूडीज के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ विश्लेषक जिमिंग जोउ ने कहा, ''भारत और दक्षिण-पूर्वी एशिया में मांग में बढ़ौतरी होगी लेकिन कुल एशियाई इस्पात का 70 प्रतिशत उपभोग करने वाले देश चीन की मांग में जारी गिरावट एशियाई इस्पात उद्योग के राजस्व अर्जन की क्षमता में बढ़ौतरी करने के लिए काफी नहीं होगा। अगले 12 महीनों में चीन के इस्पात उत्पादन में 3 से 4 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।'' उन्होंने कहा, ''अगले 12 माह में एशियाई इस्पात निर्माताओं के राजस्व अर्जन में कमी आने के अनुमान को ध्यान में रखते हुए हमने इस उद्योग के विकास परिदृश्य को नकारात्मक किया है।''

 

मूडीज ने जारी रिपोर्ट में कहा, ''चीन की मांग में लगातार जारी गिरावट और वैश्विक स्तर पर कारोबार की राह में निरंतर बढ़ रही अड़चनों के कारण एशियाई इस्पात के निर्यात में कमी आएगी। इससे भंडार बढ़ेगा और कीमतों पर दबाव रहेगा। इसके मद्देनजर कम्पनियों की राजस्व अर्जित करने की क्षमता में कमी होने का अनुमान है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, चीन में नुकसान उठा रही छोटी और अकुशल इस्पात कम्पनियां अपना उत्पादन स्थगित कर चुकी हैं। हालांकि मांग के लगातार घटने और भंडार में हो रही बढ़ौतरी के कारण उत्पादन स्थगित होने से अगले 12 से 18 महीनों के दौरान आपूर्ति प्रभावित होने का असर सीमित रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात पर लागू प्रतिबंधों के कारण जापान और कोरियाई इस्पात कम्पनियों के राजस्व में भी कमी आने का अनुमान है। साथ ही येन की तेजी के कारण जापानी कम्पनियों के राजस्व अर्जन में लगातार कमी जारी रह सकती है। 

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