Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jul, 2023 04:45 PM
मॉनसून पूरे देश में जमकर बरस रहा है मगर खरीफ फसलों की बोआई का रकबा पिछड़ रहा है। 7 जुलाई को समाप्त सप्ताह में इनकी बोआई एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब 8.6 फीसदी कम रकबे में हुई। खरीफ की बोआई का रकबा मुख्य तौर पर धान, दलहन (विशेषकर अरहर और...
नई दिल्लीः मॉनसून पूरे देश में जमकर बरस रहा है मगर खरीफ फसलों की बोआई का रकबा पिछड़ रहा है। 7 जुलाई को समाप्त सप्ताह में इनकी बोआई एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब 8.6 फीसदी कम रकबे में हुई। खरीफ की बोआई का रकबा मुख्य तौर पर धान, दलहन (विशेषकर अरहर और उड़द) की बोआई में कमी के कारण घटा है। पिछले महीने के दूसरे पखवाड़े से मॉनसून में अच्छी प्रगति दिख रही है, जिस कारण उम्मीद है कि आगे बारिश में तेजी के साथ ही बोआई में कमी की काफी हद तक भरपाई हो जाएगी।
यह भी कहा जा रहा है कि सही समय पर बोआई हो गई तो पैदावार में ज्यादा गिरावट नहीं दिखेगी। देश में करीब 10.1 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलें बोई जाती हैं। 7 जुलाई तक इसमें से करीब 3.534 करोड़ हेक्टेयर (लगभग 35 फीसदी) में बोआई पूरी हो चुकी है। इसलिए जुलाई और अगस्त के बाकी हफ्तों में बारिश बेहद जरूरी हो गई है।
अरहर का रकबा 7 जुलाई तक 6 लाख हेक्टेयर था
व्यापारियों ने कहा कि अरहर जैसी कुछ फसलों की पैदावार में गिरावट की आशंका का असर बाजार में पहले ही दिखने लगा है। इसीलिए तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी कीमतों में कोई खास कमी नहीं हो पा रही है। इससे खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्रयासों को झटका लग सकता है क्योंकि अरहर रोजमर्रा के भोजन में इस्तेमाल होती है।
अरहर का रकबा 7 जुलाई तक 6 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 60 फीसदी कम है। इसी प्रकार उड़द का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 31.43 फीसदी कम था।
पंजाब में मॉनसून भी कुछ हद तक दमदार
प्रमुख धान उत्पादक राज्य पंजाब में बड़े पैमाने पर सिंचाई होने के कारण आगे बोआई का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। पंजाब में मॉनसून भी कुछ हद तक दमदार रहा है, जिससे धान की बोआई में मदद मिलेगी।
बोआई के मोर्चे पर पीछे रहने वाली अन्य प्रमुख फसलों में सोयाबीन और कपास शामिल हैं। व्यापार और बाजार सूत्रों का मानना है कि मॉनसून की सक्रियता बढ़ने के साथ ही इनकी बोआई में भी तेजी आएगी।
हैदराबाद के आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर एस महेंद्र देव ने कहा कि जून में देश के कई हिस्सों में समय पर बारिश न होने के कारण खरीफ फसलों की बोआई में देरी हुई है। यदि अल नीनो मॉनसून को अगस्त के बाद कमजोर करता है तो खरीफ फसलों की बोआई पर खास असर नहीं पड़ेगा।