Edited By vasudha,Updated: 29 Feb, 2020 10:09 AM
शेयर बाजार में वीरवार को भारी गिरावट देखी गई। इस समय बहुत लोगों का भारी नुकसान हुआ और उनके दिलों में आतंक और भगदड़ मच गई है। थोड़ा ठंडे दिमाग से इसे देखें, कुछ सीखें और आगे का नुक्सान बचाएं। हमने इस समाचार पत्र में 25 फरवरी, 4 फरवरी, 28 जनवरी को...
बिजनेस डेस्क: शेयर बाजार में वीरवार को भारी गिरावट देखी गई। इस समय बहुत लोगों का भारी नुकसान हुआ और उनके दिलों में आतंक और भगदड़ मच गई है। थोड़ा ठंडे दिमाग से इसे देखें, कुछ सीखें और आगे का नुक्सान बचाएं। हमने इस समाचार पत्र में 25 फरवरी, 4 फरवरी, 28 जनवरी को सलाह दी थी कि स्टॉक मार्केट में प्रॉफिट बुक करें और बॉन्ड खरीदें। हो सकता है यह सब कोरोना वायरस की वजह से है, मगर हम वित्तीय बाजार पर इसके असर को समझने की कोशिश करेंगे।
बहुत जगह नुक्सान
इस हफ्ते में भारत के शेयर बाजार के साथ अमरीका, जर्मनी, इंगलैंड, जापान, चीन, ब्राजील, रशिया, साऊथ अफ्रीका, साऊथ कोरिया सभी देशों के शेयर बाजार में भी भारी गिरावट रही है। तेल के दाम भी गिर गए हैं और तांबे के भी।
पैसा कहां गया?
एक हफ्ते पहले सोने का दाम बढ़ गया था। दुनिया भर में यह दाम बढ़ा है, मगर भारत में सोना इतना महंगा कभी नहीं हुआ। यही कहानी बॉन्ड मार्कीट में भी गुजरी है। अमरीका के बॉन्ड की कीमत इतनी ज्यादा कभी नहीं लगी। भारतीय बॉन्ड की कीमत पिछले 3 साल में इतनी ज्यादा नहीं हुई। साथ ही अमरीकी डॉलर का दाम भी बढ़ रहा है। हमें शक है कि यह और बढ़ सकता है। इससे साफ दिखता है कि अभी रिस्क लेने का समय नहीं है, बल्कि पैसा बचाने का समय है। दिलचस्प बात यह है कि तेल के दाम घटते हुए स्टॉक मार्कीट गिर रही है और अमरीकी डॉलर बढ़ रहा है (हिंदुस्तानी रुपया घट रहा है)। आम तौर पर हम सोचते हैं कि जब तेल के दाम बढ़ते हैं तब स्टॉक कमजोर है और अमरीकी डॉलर बढ़ता है तथा हिंदुस्तानी रुपया घटेगा और आज कुछ उलटा हो रहा है।
हमारी रिसर्च कहती है कि तेल, तांबा और सोने के दामों में बहुत रहस्य छिपे रहते हैं। सब कुछ तो यहां नहीं समझा सकते, मगर इतना समझना आसान है: तेल और तांबा बढ़ें तो इनकी डिमांड ज्यादा है और दुनिया की इकॉनोमी तथा कारोबार का हाल अच्छा है। (एक लैवल बाद तेल का बहुत महंगा होना इकॉनोमी पर भारी होता है, पर इतनी ज्यादा कीमत कुछ सालों में नहीं देखी गई)। सोने का दाम एक तरह से बहुत सालों बाद केवल पिछले साल बढऩे लगा है। यह फिर से एक रिस्क न लेने वाले समय का संकेत बन गया है और इसे देखते रहना चाहिए। रिसर्च में बहुत काम आता है। सोने की कीमत बढ़ी समझो रिस्क मत लो।
दूसरा संकेत कि रिस्क न लें
जब शेयर बाजार की अंदरूनी हालत देखें तब भी रिस्क कम लेने के संकेत मिलते हैं। जनवरी की शुरूआत में जब स्मॉल कैप स्टॉक बहुत उछले थे (हमने दिसम्बर में इसका फायदा उठाने की सलाह दी थी), तब लार्ज कैप स्टॉक नहीं बढ़ रहे थे (जबकि पिछले 2 साल लार्ज कैप स्टॉक बहुत तेज थे)। जनवरी के अंत में इन्हीं लार्ज कैप स्टॉक में गिरावट शुरू हो गई थी। यह हमारे लिए संकेत था कि रिस्क न लें। जनवरी के अंत में हमने सलाह दी कि प्रॉफिट बुक करें। तब से लार्ज कैप और स्मॉल कैप दोनों ही गिर बैठे हैं। मैटल, ऑटो, मीडिया, पी.एस.यू. बैंक और एनर्जी के स्टॉक पहले ही गिर रहे थे और अब प्राइवेट बैंक, फाइनैंशियल सर्विसेज, एफ.एम.सी.जी., आई.टी, रियल्टी भी सभी गिर गए हैं।
आगे क्या करें?
हमें उम्मीद है कि अगले हफ्ते कुछ स्थिरता मिलेगी। शायद कुछ स्टॉक बढ़ेंगे। (भविष्यवाणी नहीं।) हमें यह भी उम्मीद है कि लॉन्ग टर्म में ये स्टॉक फिर बढ़ेंगे, इसलिए अपने लॉन्ग टर्म वाले स्टॉक को मत बेचना मगर इसका मतलब यह नहीं कि अभी स्टॉक खरीदने का समय आ गया है। अगले हफ्ते हम बाजार की मजबूती या कमजोरी को जांचना चाहते हैं। यदि बाजार कमजोर हुआ तो हमें लगता है कि बहुत नीचे जाएगा। यदि मजबूत हुआ तो शायद कुछ देर यहीं बिताएगा। प्रॉफिट नहीं, सिर दर्द देगा। अभी हम तेजी पर पैसा नहीं लगाना चाहते। यह समय है कैश रखने का और सिर्फ देखने का। शेयर बाजार के बाहर हमें अमरीकी डॉलर तेज लगता है। एन.एस.ई. पर करंसी फ्यूचर खरीद सकते हैं। इस समय न बॉन्ड, न सोना, न तेल, न स्टॉक रिस्क हमारे पक्ष में है। कैश को बचाएं, रिसर्च पढ़ें और अगले मौके का इंतजार करें। इस करैक्शन को समय लग सकता है। ऐसी सलाह कोई और नहीं देता, क्योंकि हमारी कमाई आपके इन्वैस्ट करने से नहीं होती। आपके विश्वास से होती है, तो हम बिना किसी और चिंता के रिसर्च को सच-सच बताते हैं। जैसे बाजार आगे बढ़ेगा, हम जांचते रहेंगे कि कौन से स्टॉक खरीदने हैं और अपने समाचार में बताते रहेंगे।