Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Mar, 2019 07:05 PM
आईडीबीआई बैंक को ‘निजी बैंक’ की श्रेणी में डालने के विरोध में बैंक के अधिकारियों ने 30 मार्च को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। अखिल भारतीय आईडीबीआई अधिकारी संगठन (एआईआईडीबीआईओए)
मुंबईः आईडीबीआई बैंक को ‘निजी बैंक’ की श्रेणी में डालने के विरोध में बैंक के अधिकारियों ने 30 मार्च को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। अखिल भारतीय आईडीबीआई अधिकारी संगठन (एआईआईडीबीआईओए) के महासचिव विट्टल कोटेश्वर राव ने शनिवार को बताया कि आजादी के बाद देश में यह पहला मौका जब किसी सरकारी बैंक को निजी बैंक घोषित किया गया है।
इससे पहले निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया या निजी बैंकों को सरकारी बैंकों में समायोजित किया। उन्होंने कहा कि निजी बैंकों का उद्देश्य आम नागरिकों की सेवा न होकर लाभ कमाना होता है। वे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि पर ध्यान नहीं देते। उनका एक मात्र मकसद अपनी बैंलेंस शीट को मजबूत करना होता है, आम जनता की सेवा और सहूलियतों से उनका सरोकार नहीं होता।
राव ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम के आईडीबीआई बैंक के 51 प्रतिशत शेयर खरीद लेने के बाद 14 मार्च को रिजर्व बैंक ने एक विज्ञप्ति जारी कर आईडीबीआई बैंक को निजी बैंक घोषित कर दिया है जिसका वह पुरजोर विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि आईडीबीबाई बैंक को निजी बैंक की श्रेणी में डाले जाने के परिप्रेक्ष्य में उनकी प्रमुख मांग है कि बैंक के सभी अधिकारियों के वेतन और सेवाओं की सुरक्षा के साथ उन्हें किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में जाने का विकल्प दिया जाए। एक ऐसे सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जाए जिसमें सभी अधिकारियों की वर्तमान सेवा शर्तों और कल्याणकारी उपायों को उनकी सेवानिवृत्ति तक जारी रखने के प्रावधान हो। संगठन ने अधिकारियों को मिलने वाली लीज रेंट के पुनरीक्षण की मांग के अलावा जोखिम में फंसी परिसंपत्ति की वसूली के लिए कड़े कदम उठाने के साथ-साथ कई और मांगें बैंक प्रबंधन के समक्ष रखी हैं। संगठन ने कहा है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो बैंक के अधिकारी अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।