Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Jun, 2018 11:19 AM
मजबूत सुधार के बाद चीनी की कीमतें फिर से गिरने लगी हैं। ज्यादा उत्पादन की वजह से आपूर्ति बढ़ने से चीनी की कीमतों में नरमी आई है। चीनी की ''एस'' किस्म की एक्स-फैक्टरी कीमत दो सप्ताह से भी कम समय में 6.5 प्रतिशत तक गिरकर मौजूदा समय में 2,925 रुपए...
नई दिल्लीः मजबूत सुधार के बाद चीनी की कीमतें फिर से गिरने लगी हैं। ज्यादा उत्पादन की वजह से आपूर्ति बढ़ने से चीनी की कीमतों में नरमी आई है। चीनी की 'एस' किस्म की एक्स-फैक्टरी कीमत दो सप्ताह से भी कम समय में 6.5 प्रतिशत तक गिरकर मौजूदा समय में 2,925 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई है जो 11 जून को 3,125 रुपए पर थी।
वाशी की एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) में भी चीनी की एम 30 किस्म की कीमत आज इस महीने के सबसे निचले स्तर 3,300 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई। चीनी का हाजिर भाव 3,365 रुपए प्रति क्विंटल की ताजा ऊंचाई से लगभग 2 प्रतिशत नीचे आ गया। सरकार द्वारा चीनी क्षेत्र की नकदी किल्लत को दूर करने के लिए 80 अरब रुपए के विशेष पैकेज की पेशकश किए जाने के बाद 13 जून को चीनी की कीमत 3,365 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गई थी।
लगभग 3,600 रुपए प्रति क्विंटल की औसत उत्पादन लागत को देखते हुए चीनी की कीमतों में गिरावट से चीनी मिलों का नुकसान बढ़ जाएगा क्योंकि उनकी प्राप्तियों में कमी आएगी और इससे उनकी ऋण पात्रता प्रभावित हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हालांकि चीनी उद्योग में रुझान पिछले कुछ दिनों में काफी बदला है। इस बीच, सरकार द्वारा घोषित पैकेज से चीनी मिलों के लिए अल्पावधि नकदी समस्याएं बढ़ सकती हैं। गन्ने की बंपर पैदावार से चीनी उत्पादन 2.5 करोड़ टन की अनुमानित सालाना खपत की तुलना में अगले वर्ष (अक्टूबर 2018 से शुरू) 3.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पूरे देश में कुल गन्ना बकाया मौजूदा समय में 220 अरब रुपए पर अनुमानित है।