Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Jul, 2018 01:03 PM
अगर आप जैविक खेती में उगाए खाद्य पदार्थों को लेना शुरू करते हैं तो आपकी जेब पर हर महीने 1,200 से 1,500 रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। एक हालिया अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है।
बिजनेस डेस्कः अगर आप जैविक खेती में उगाए खाद्य पदार्थों को लेना शुरू करते हैं तो आपकी जेब पर हर महीने 1,200 से 1,500 रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। एक हालिया अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है।
अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि सरकार को जैविक खाद्य पदार्थों की लागत कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए। फिलहाल जैविक तरीके से उगाए गए इन उत्पादों का दाम ऊंचा है जिससे हर व्यक्ति लगातार इन्हें खरीदने की सामर्थ नहीं रखता। एसोचैम और अंर्नस्ट एंड यंग एलएलपी द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययन के मुताबिक, महंगा होने के कारण जैविक खाद्य उत्पादों की पहुंच समृद्ध वर्ग तक ही सीमित है लेकिन सामान्य वर्ग तक इन उत्पादों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे।
अध्ययन में कहा गया है कि कम उपज तथा प्रसंस्करण, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स और वितरण के अलावा किसानों के प्रशिक्षण में अधिक खर्च की वजह से जैविक खाद्य उत्पाद महंगे पड़ते हैं। इसके अलावा, अधिक प्रमाणन शुल्क और बढ़ती मांग तथा कम आपूर्ति-जैसे प्रमुख कारकों की वजह से जैविक उत्पाद पारंपरिक उत्पादों की तुलना में महंगे हैं।
अध्ययन के मुताबिक जैविक उत्पादों से जुड़े हर पक्षकार के समक्ष कई तरह की चुनौतियां हैं। देश में जैविक खाद्य पदार्थों के मामले में नियामकीय ढांचे में कई तरह की खामियां हैं जिससे की इनके उत्पादकों को कामकाज विस्तार के लिए मुनाफे को ध्यान में रखते हुए हर स्तर पर मशक्कत करनी पड़ती है। जैविक खेती में काम आने वाले बेहतर मानक के सामान की कमी, आपूर्ति श्रंखला से जुड़े मुद्दे, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा की चुनौती, उचित ब्रांडिंग-पैकेजिंग का अभाव तथा कई अन्य तरह की चुनौतियां इस क्षेत्र के समक्ष हैं।