हरियाणा की औद्योगिक नीति का मसौदा: एक लाख करोड़ रुपये निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य

Edited By rajesh kumar,Updated: 14 Aug, 2020 06:37 PM

target to attract one lakh crore rupees investment

हरियाणा की औद्योगिक नीति के मसौदा का उद्देश्य एक लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना, पांच लाख नयी नौकरियां सृजित करना और राज्य को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।

चंडीगढ़: हरियाणा की औद्योगिक नीति के मसौदा का उद्देश्य एक लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना, पांच लाख नयी नौकरियां सृजित करना और राज्य को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। 'हरियाणा उपक्रम एवं रोजगार नीति 2020' के मसौदे के अनुसार, राज्य सरकार लचीले आर्थिक विकास के माध्यम से हरियाणा को निवेश के लिए एक प्रतिस्पर्धी और पसंदीदा स्थान बनाने, क्षेत्रीय विकास, निर्यात में विविधता लाने और अपने लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करने की योजना बना रही है। नीति को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे महीने के अंत तक जरी किया जा सकता है।

मसौदा नीति के अनुसार नीति का उद्देश्य एक लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना और राज्य में पांच लाख नौकरियों के अवसर पैदा करना है। इनके अलावा यह निर्यात को दोगुना कर दो लाख करोड़ रुपये करने, राज्य के कम से कम 100 कानूनों (अधिनियमों, नियमों और दिशानिर्देशों) की जांच कर उन्हें निवेशकों के लिये अधिक उपयुक्त बनाने, आपूर्ति श्रृंखला सुविधाओं का निर्माण करने तथा 22 जिलों में उद्योगों के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करने पर भी केंद्रित है।

नयी नीति में भूमि, श्रम और संस्थागत तंत्र में नियामक सुधारों का प्रस्ताव किये जाने की उम्मीद है। मसौदा नीति के अनुसार नीति में राज्य भर में एक संतुलित क्षेत्रीय विकास की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। यह राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों के माध्यम से किया जायेगा। नीति के माध्यम से उत्पादकता, गुणवत्ता और बाजार तक पहुंच बढ़ाने और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने के लिये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने की योजना है।

मसौदा नीति का उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र के भविष्य की वृद्धि के लिये क्लस्टर विकास, विनियामक सहजता और आकर्षक राजकोषीय प्रोत्साहन के प्रावधान को बढ़ावा देना है। यह नीति "ब्रांड हरियाणा" को बढ़ावा देने के लिये निवेश के संवर्धन से लेकर बाद में उचित ध्यान दिये जाने तक, पूरे व्यापार चक्र के माध्यम से निवेशकों की संतुष्टि को बढ़ाने की परिकल्पना करती है। इसके अलावा, यह जिला स्तरीय निवेश प्रोत्साहन की सुविधा और औद्योगिक विवादों व शिकायतों को दूर करने के लिये त्रिस्तरीय शिकायत निवारण समितियों की व्यवस्था को प्रोत्साहित करेगी।



 

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