जरूरी है सम्पत्ति पर टी.डी.एस. कटवाना

Edited By ,Updated: 10 Jul, 2016 03:53 PM

tds houses

सम्पत्ति की खरीदारी में सम्पत्ति के दस्तावेजों संबंधी सतर्कता बरतना ही काफी नहीं है। उस पर लगने वाले करों के बारे में भी पूरी जानकारी जुटा लेना आवश्यक है।

नई दिल्‍लीः सम्पत्ति की खरीदारी में सम्पत्ति के दस्तावेजों संबंधी सतर्कता बरतना ही काफी नहीं है। उस पर लगने वाले करों के बारे में भी पूरी जानकारी जुटा लेना आवश्यक है। सरकार ने सम्पत्तियों पर कई तरह के कर लगा रखे हैं। इसी के तहत एक निश्चित राशि से ज्यादा मूल्य की सम्पत्ति खरीदने पर तय नियमों के तहत उस पर लागू ‘टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स’ यानी टी.डी.एस. कटवाना बेहद आवश्यक है। 

 

अगर आपने एक निश्चित रकम से अधिक की सम्पत्ति खरीदी है लेकिन उस पर टी.डी.एस. नहीं कटवाया है तो यह आपके लिए भारी गलती साबित हो सकती है। चाहे आपने निर्माणाधीन सम्पत्ति खरीदी हो या बना-बनाया मकान लिया हो, आपको इसके लिए टैक्स चुकाना होगा।

 

50 लाख रुपए या अधिक सम्पत्ति पर लागू कर

आयकर नियमों के अनुसार यदि आपने 50 लाख रुपए या उससे अधिक की सम्पत्ति खरीदी है तो आपका टी.डी.एस. कटना चाहिए। टी.डी.एस. की यह दर आपके द्वारा विक्रेता को चुकाई गई रकम का 1 प्रतिशत होती है। यह एक प्रतिशत हर हाल में उस कीमत पर आंका जाता है जिस कीमत पर आपने सम्पत्ति खरीदी है। अब यह जिम्मेदारी खरीददार की है कि वह यह 1 प्रतिशत टी.डी.एस. सरकार को जमा करवाए। 

 

ध्यान रहे कि यह आपके द्वारा चुकाए जाने वाला टी.डी.एस. होगा न कि विक्रेता (जिसने आपको सम्पत्ति बेची है) के हिस्से का इसलिए यदि यह रकम आप नहीं चुकाते हैं तो टैक्स नोटिस भी आपको ही जाएगा इसलिए सम्पत्ति खरीदते समय इस टी.डी.एस. की रकम को सरकार के पास जमा करवाने में देरी न करें और समय से जमा करवा दें। 50 लाख रुपए से कम की सम्पत्ति पर आपका टी.डी.एस. नहीं कटेगा इसलिए इससे कम मूल्य का मकान खरीदते समय इस बाबत चिंता न करें।

 

कई हैं अनजान

यह नियम जून 2013 से लागू है लेकिन इस बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है। टैक्स विशेषज्ञ बताते हैं कि यही कारण है कि तनख्वाह पर टी.डी.एस. कटवा लेने के बाद भी कई बार टैक्स नोटिस आ जाता है। यह टैक्स सभी प्रकार की सम्पत्ति पर लागू होगा सिवाए कृषि भूमि के।

 

यदि खरीददार ने टी.डी.एस. नहीं चुकाया है तो जितना टी.डी.एस. कटना था उस पर ब्याज दर लगती रहेगी जोकि देरी से टैक्स चुकाते समय आयकर विभाग को आपको देनी होगी। समय पर सरकारी खजाने में टी.डी.एस. न जमा करवाने पर प्रतिमाह 1.5 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना होगा।

 

निर्माणाधीन सम्पत्ति पर भी कटेगा टैक्स

यह समझने की गलती न करें कि निर्माणाधीन सम्पत्ति खरीद रहे हैं तो टैक्स नहीं कटेगा। इस सम्पत्ति पर भी टी.डी.एस. नियम लागू होगा। यदि आपने डिवैल्पर को किस्तों में रकम चुकाई है या चुका रहे हैं तो आपको प्रत्येक किस्त में से 1 प्रतिशत टी.डी.एस. चुकाना होगा। किस्त की रकम चाहे कितनी भी कम या ज्यादा क्यों न हो, टी.डी.एस. उस पर लगने का नियम है। 

 

जरूरी बात

यदि किसी कारणवश या भूल-चूक में आप टैक्स विभाग के पास उपयुक्त फॉर्म जमा नहीं करवाते हैं या जानकारी पूरी नहीं देते हैं या फिर गलत दे देते हैं तो इस पर बड़ा जुर्माना देना पड़ सकता है। यह 10 हजार से 1 लाख रुपए तक हो सकता है।

 

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