CBI सहित 10 खुफिया-जांच एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकियों की पहचान करेगा इनकम टैक्स, देखें रिपोर्ट

Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Jul, 2020 01:14 PM

terrorists will identify income tax

आयकर विभाग एकीकृत आतंकवाद निरोधी मंच नेटग्रिड के तहत सीबीआई और एनआईए समेत 10 जांच और खुफिया एजेंसियों के साथ किसी भी इकाई का पैन और बैंक खाता समेत अन्य ब्योरा साझा करेगा। एक आधिकारिक आदेश में यह कहा गया है।

नई दिल्ली: आयकर विभाग एकीकृत आतंकवाद निरोधी मंच नेटग्रिड के तहत सीबीआई और एनआईए समेत 10 जांच और खुफिया एजेंसियों के साथ किसी भी इकाई का पैन और बैंक खाता समेत अन्य ब्योरा साझा करेगा। एक आधिकारिक आदेश में यह कहा गया है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 21 जुलाई के आदेश में कहा कि स्थायी खाता संख्या, कर कटौती और संग्रह खात संख्या (टीएएन), बैंक खाते का ब्योरा, आयकर रिटर्न की जानकारी तथा स्रोत पर कर कटौती समेत द्वपिक्षीय आधार पर सहमति वाली सूचना 10 एजेंसियों के साथ साझा की जाएगी। केंद्रीय एजेंसियों के साथ सूचना नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) के जरिये आदान-प्रदान किया जाएगा। वास्तविक समय के आधार पर आव्रजन, बैंक, व्यक्तिगत करदाताओं, हवाई और ट्रेन यात्रा जैसे आंकड़े और गोपनीय सूचनाओं तक पहुंच के साथ संदिग्धों का पता लगाने और आतंकवादी हमलों को रोकने को लेकर एक मजबूत व्यवस्था की परिकल्पना की गयी है।

ये 10 एजेंसियां हैं...केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, मंत्रिमंडल सचिवालय, खुफिया ब्यूरो (आईबी), जीएसटी खुफिया महानिदेशालय, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, वित्तीय खुफिया इकाई और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)। ये एजेसिंया पूर्व में की गयी कानूनी व्यवस्था के तहत वास्तविक समय पर नेटग्रिड आंकड़ा प्राप्त करने के लिये अधिकृत हैं। आदेश के अनुसार सीबीडीटी और नेटग्रिड ताजा सूचना साझा व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिये सहमति पत्र पर दस्तखत करेंगे।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कर विभाग और नेटग्रिड के बीच पहले से पैन संबंधी सूचना साझा करने का समझौता है। नया कदम सभी जांच और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर और गोपनीय तरीके से आंकड़े साझा करने की दिशा में पहल है ताकि वे परिस्थित को अच्छी तरह से समझते हुए देश के समक्ष सशस्त्र, वित्तीय या साइबर हमले का प्रभावी तरीके से मुकाबला कर सके। वर्ष 2008 में मुंबई हमले के बाद नेटग्रिड परियोजना शुरू हुई। उस हमले ने इस बात को सामने लाया कि सुरक्षा एजेंसियों के पास वास्तविक समय पर महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है। सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की समति ने आठ अप्रैल 2010 को 3,400 करोड़ रुपये की लागत वाली नेटग्रिड परियोजना को मंजूरी दी।




 

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