Edited By Supreet Kaur,Updated: 29 Sep, 2018 02:41 PM
महंगे डीजल से परेशान किसानों को जल्द ही खाद्य के लिए भी ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। जानकारों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में फॉस्फेट और पोटाश की कीमतें बढ़ने के कारण इस सीजन किसानों को 5 से 26 फीसदी ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
नई दिल्लीः महंगे डीजल से परेशान किसानों को जल्द ही खाद्य के लिए भी ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। जानकारों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में फॉस्फेट और पोटाश की कीमतें बढ़ने के कारण इस सीजन किसानों को 5 से 26 फीसदी ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
जानकारों के अनुसार अगर सरकार खाद्य कंपनियों के लिए प्रति यूनिट सब्सिडी बढ़ाती है तो किसानों पर असर कम होगा। उनके अनुसार सरकारी कंट्रोल के कारण यूरिया की कीमतें आम तौर पर स्थिर रहती हैं। डी-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमत 1400 रुपए प्रति 50 किलोग्राम है। जानकारों के मुताबिक अक्तूबर तक इसकी कीमत 4 फीसदी तकबढ़ सकती है।
वहीं पोटाश खाद्य (एमओपी) 26 फीसदी तक महंगी हो सकती है और 50 किलोग्राम बैग की कीमत में 880 रुपए की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) ग्रेड की कीमतें 5 से 10 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। इनकी कीमत 960 रुपए और 1180 रुपए प्रति किलो के बीच हो सकती है। एक अधिकारी के अनुसार रुपए में गिरावट के कारण कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हुई है। कंपनियों को यह देखना होगा कि वे लागत का कितना बोझ खुद सहन कर सकती हैं। पिछले एक तिमाही में पोटाश की कीमतें प्रति टन के पीछे 50 डॉलर का इजाफा हुआ है जबकि फॉस्फेट की कीमतों में 103 डॉलर प्रति टन की वृद्धि हुई है। इसके मद्देनजर अक्टूबर में उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।