Edited By rajesh kumar,Updated: 02 Aug, 2020 06:37 PM
नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) भारती एयरटेल और वोडाफोन द्वारा ‘प्रायरटी’ (प्राथमिकता) योजना पर दिए गए जवाबों से संतुष्ट नहीं है। नियामक ने अब दोनों कंपनियों से कुछ अतिरिक्त ‘तकनीकी’ सवाल पूछे हैं और इस पर...
नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) भारती एयरटेल और वोडाफोन द्वारा ‘प्रायरटी’ (प्राथमिकता) योजना पर दिए गए जवाबों से संतुष्ट नहीं है। नियामक ने अब दोनों कंपनियों से कुछ अतिरिक्त ‘तकनीकी’ सवाल पूछे हैं और इस पर अपना रुख चार अगस्त तक स्पष्ट करने को कहा है।
नियामक ने दोनों कंपनियों से अपने इस दावे के समर्थन में पुख्ता प्रमाण देने को कहा है कि उनकी वरीयता के आधार पर पेशकश से नेटवर्क के अन्य प्रयोगकर्ताओं के लिए सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित नहीं हुई और न ही इसमें किसी नियम का उल्लंघन किया गया। एक अन्य सूत्र ने कहा कि भारती एयरटेल से करीब दो दर्जन सवाल पूछे गए हैं। इसमें एक सवाल यह है क्या प्लैटिनम और गैर-प्लैटिनम प्रयोगकताओं के लिए डेटा स्पीड की कोई सीमा तय की गई थी। प्लैटिनम प्रयोगकर्ताओं के लिए इसके प्रवाह की सीमा क्या थी।
चार अगस्त तक देना होगा जवाब-TRAI
ट्राई ने 31 जुलाई को भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को नए सवालों का सेट भेजा है। इसपर उन्हें चार अगस्त तक जवाब देने को कहा गया है। इस बारे में एयरटेल और वोडाफोन को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला। ट्राई ने कहा कि यह वांछित है कि उसी दिन होने वाले प्रस्तुतीकरण में उन बिंदुओं को भी शामिल किया जाए, जिनपर सवाल पूछे गए हैं। सूत्र ने कहा कि नियामक ने दोनों कंपनियों से अपने दावों के समर्थन में आंकड़े देने को कहा है।
ट्राई के एक अधिकारी ने कहा कि पूर्व में इन कंपनियों ने जो जवाब दिए हैं वे ‘अस्पष्ट’ हैं और ये जवाब नियामक की इस चिंता को दूर करने का कोई स्पष्ट भरोसा नहीं दिलाते कि कुछ विशेष ग्राहकों को वरीयता देने से अन्य गैर-प्रीमियम श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए सेवाओं की गुणवत्ता में कमी नहीं आई है। नियामक चाहता है कि ये कंपनियां अपने दावों के समर्थन में आंकड़ा दे कि प्रीमियम/प्लैटिनम योजना की वजह से अन्य ग्राहकों के लिए नेटवर्क का अनुभव खराब नहीं हुआ है।