Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Oct, 2018 05:34 AM
कॉल ड्रॉप को रोकने की दिशा में 1 अक्तूबर से नई पहल होगी। ट्राई ने कहा है कि नए पैरामीटर के प्रभाव में आने से कॉल ड्रॉप की समस्या में बड़ा बदलाव हेगा। इसमें कॉल ड्रॉप के बदले मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।
नई दिल्लीः कॉल ड्रॉप को रोकने की दिशा में 1 अक्तूबर से नई पहल होगी। ट्राई ने कहा है कि नए पैरामीटर के प्रभाव में आने से कॉल ड्रॉप की समस्या में बड़ा बदलाव हेगा। इसमें कॉल ड्रॉप के बदले मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। कॉल ड्रॉप की परिभाषा में 2010 के बाद पहली बार बदलाव किया गया।
कॉल ड्रॉप को लेकर 5 लाख का जुर्माना
पहली बार डेटा ड्रॉप के लिए भी प्रावधान किया गया और कहा गया है महीने के प्लान में डाउनलोड में उपभोक्ता को कम से कम 90 फीसदी समय तय स्पीड के तहत सर्विस मिले। साथ ही महीने के प्लान में नेट ड्रॉप रेट अधिकतम 3 फीसदी हो। यह भी कहा गया है कि नेट के सामान्य ट्रांसमिशन में महीने में कम से कम 75 फीसदी तय स्पीड में सर्विस मिले। सोमवार से प्रभावित कानून के अनुसार अब हर मोबाइल टावर से जुड़े नेटवर्क की हर दिन की सर्विस का मिलान होगा। साथ ही कॉल ड्रॉप को लेकर 5 लाख का जुर्माना लगेगा। साथ ही हर महीने 2 फीसदी से ही कम कॉल ड्रॉप तकनीकी दायरे में आएगी और बाकी पर कंपनियों को जुर्माना देना होगा।
अब तक सिर्फ 87 लाख जुर्माना
कॉल ड्रॉप पर बड़े विवाद के बाद इस पर जुर्माना लगाने का सिस्टम लागू किया गया था। तब से सभी कंपिनयों पर आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान किया गया। तब से केवल 87 लाख का जुर्माना तमाम कंपनियों पर लगाया गया।
कंपनियों की अपनी शर्त
कॉल ड्रॉप दूर करने के लिए मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों ने अपनी शर्त सुनाई है। कंपनियों को सरकारी बिल्डिंगों, सरकारी जमीन और डिफेंस लैंड पर टावर लगाने की मंजूरी चाहिए। अगले 2 साल में देश में डेढ़ लाख नई मोबाइल टावर साइट्स की जरूरत है। इसे लगाने की जगह मिले।