लक्ष्मी विलास बैंक से पैसे वापस पाने का विश्वास, अधिकारियों को माफ नहीं किया जाएगा: रश्मि सलूजा

Edited By rajesh kumar,Updated: 02 Oct, 2020 06:52 PM

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रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लि. को भरोसा है कि उसकी गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाई रेलिगेयर फिनवेस्ट लि. (आरएफएल) कर्ज संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) से कंपनी की ब्याज सहित करीब 950 करोड़ रुपये की मियादी जमा राशि वापस लेने में कामयाब होगी।

नई दिल्ली: रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लि. को भरोसा है कि उसकी गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाई रेलिगेयर फिनवेस्ट लि. (आरएफएल) कर्ज संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) से कंपनी की ब्याज सहित करीब 950 करोड़ रुपये की मियादी जमा राशि वापस लेने में कामयाब होगी। बैंक के अधिकारियों ने रेलिगेयर के पूर्व प्रवर्तक सिंह बंधुओं के साथ मिलकर मियादी जमा राशि का कथित रूप से दुरूपयोग किया।

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की चेयरपर्सन रश्मि सलुजा ने पीटीआई- भाषा से कहा कि एलवीबी ने रेलिगेयर के पूर्व प्रवर्तकों और उनकी निजी इकाइयों को दिये गये कर्ज की वसूली को लेकर 750 करोड़ रुपये की एफडी का निपटान कर दिया, जबकि ऐसा करने का उनके पास कोई अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा कि आरएफएल अपनी रकम की वसूली और दोषियों को सजा दिलाने को लेकर मामले पर नजर रख रही है।

सलुजा ने कहा, ‘हमने पैसे की वसूली को लेकर मुकदमा किया है। न्याय को लेकर कंपनी के सक्रिय रुख की वजह से ही पूर्व प्रवर्तक और प्रबंधन जेल में हैं। उन लोगों ने धन की हेराफेरी की। उन्होंने कहा कि बैंक के उन अधिकारियों को भी माफ नहीं किया जाएगा जिन्होंने पूर्व प्रवर्तकों और उनकी निजी कंपनियों द्वारा लिये गये कर्ज के एवज में मियादी जमा (एफडी) को समायोजित करने को लेकर कथित रूप से गड़बड़ी की।

सलुजा ने कहा हमने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को शिकायत की है। उन्होंने मामले की पूरी जांच की है और पाया कि लक्ष्मी विलास बैंक के अधिकारियों ने एफडी के गलत उपयोग को लेकर पूर्व प्रवर्तकों के साथ साठगांठ की। उन्होंने कहा कि आरएफएल इस मामले में मजबूत स्थिति में है और अपना पैसा वापस चाहती है। प्रवर्तन निदेशालय समेत जांच एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं और आरएफएल को लक्ष्मी विलास बैंक और सिंह बंधुओं से धन वसूली की उम्मीद है।

सलुजा ने समूह की जिम्मेदारी 2018 में संभाली। सिंह बंधुओं के हटने के बाद निदेशक मंडल का पुनर्गठन किया गया था। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रवर्तकों की गैर-कानूनी और अवैध गतिविधियों के कारण समूह को करीब 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने एलवीबी के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया। उन पर आरएफएल की 729 करोड़ रुपये के एफडी के दुरूपयोग में शामिल होने का आरोप है।

सलुजा ने कहा कि कर्जदाताओं का रिण चुकाने के प्रयास के तहत कंपनी ने सुधारात्मक कार्रवाई के चलते दबा में रहने के बावजूद 2018 से अब तक करीब 6,500 करोड़ रुपये तक का भुगतान किया है। अकेले मार्च में ही कंपनी ने बैंकों को 875 करोड़ रुपये का भुगतान किया। उन्होंने बताया कि बैंकों का कुल बकाया 4,600 करोड़ रुपये के करीब है और इसमें ज्यादातर कर्ज गारंटीशुदा सुरक्षित रिण है।

 

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